Parliament Security Breach: संसद की विजिटर गैलरी में कैसे मिलती है एंट्री, इस मामले में सांसदों की क्या है भूमिका?
संसद की सुरक्षा में लगी सेंध की घटना के बाद से दर्शक दीर्घा चर्चा में आ गई है. दर्शक दीर्घा में पहुंचकर आम आदमी भी सदन की कार्यवाही को देख सकता है. आइए आपको बताते हैं कि कैसे आम आदमी को इसमें प्रवेश मिलता है.
साल 2001 में संसद में हुए हमले की 22वीं बरसी के दिन एक बार फिर से ऐसी घटना घटी, जिसने संसद भवन की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए. बुधवार 13 दिसंबर 2023 अचानक से दो शख्स विजिटर गैलरी से लोकसभा के अंदर कूद गए और सांसदों की सीट तक जा पहुंचे. दोनों युवकों के हाथ में टियर गैस कनस्तर था. इस बीच एक शख्स ने जूते से स्पे निकाला, स्प्रे से पीला धुआं निकलने लगा. साथ ही युवकों ने नारेबाजी भी की. इससे अचानक से अफरा-तफरी मच गई. दोनों युवकों को उस समय सांसदों ने पकड़ लिया और सुरक्षाकर्मियों के हवाले कर दिया.
ये दोनों युवक विजिटर पास के जरिए संसद भवन में पहुंचे थे. संसद की सुरक्षा में लगी इस सेंध की वजह से दर्शक दीर्घा चर्चा में आ गई. लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में आम लोगों के उपयोग के लिए दर्शक दीर्घा को बनाया गया है. दर्शक दीर्घा में पहुंचकर आम आदमी भी सदन की कार्यवाही को देख सकता है. लेकिन इस गैलरी में प्रवेश करने के लिए आम आदमी को विजिटर पास बनवाना पड़ता है. आइए आपको बताते इसे बनवाने का क्या प्रोसेस है और इस मामले में सांसदों की क्या भूमिका है.
विजिटर पास बनवाने में सांसदों की खास भूमिका
संसद में एंट्री के लिए विजिटर पास बनवाना होता है. इस पास को बनवाने में सांसद की अहम भूमिका होती है. नियमों के तहत एक सांसद ऐसे व्यक्ति के लिए विज़िटर पास का आवेदन कर सकता है जिसे वो व्यक्तिगत रूप से जानता हो. चुनिंदा मामलों में एक सांसद ऐसे व्यक्ति के लिए भी पास का आवेदन कर सकता है जिसका उनसे परिचय किसी ऐसे व्यक्ति ने कराया है जिसे वो सांसद व्यक्तिगत रूप से जानते हों. इन मामलों में सांसद से ये उम्मीद की जाती है कि वो आवेदन करते समय सावधानी बरतेंगे. इसके अलावा सांसदों को ये ध्यान रखने की सलाह दी जाती है कि अगर कार्डधारकों द्वारा किसी तरह की अप्रिय घटना या अवांछनीय हरकत की जाती है, तो इसके जिम्मेदार वो होंगे.
पास बनने के बाद भी दर्शक दीर्घा तक पहुंचना आसान नहीं
पास बनने के बाद भी आम लोगों को कई जगह फिजिकल चेक से गुजरना होता है. इस बीच शरीर की तलाशी ली जाती है. मेटल डिटेक्टर से गुजरना होता है. इसके बाद लोकसभा या राज्यसभा की कार्यवाही देखने के लिए हाउस में जाना होता है, वहां आपके नाम की जानकारी होती है. यहां एक बार फिर चेकिंग होती है, इसके बाद ही एंट्री मिलती है. इतना ही नहीं दर्शक दीर्घा में भी बेंच के दोनों सिरों पर सादे कपड़ों में सुरक्षाकर्मी बैठते हैं, जो दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों की हर हरकत पर नजर रखते हैं.
इन सांसद की सिफारिश पर बना था युवकों का विजिटर पास
संसद की सुरक्षा में सेंधमारी की घटना को अंजाम देने वाले युवकों का पास भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा की सिफारिश पर बना था. इस मामले में सांसद ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी से मिलकर अपनी सफाई दी है और कहा कि इन युवकों में से एक मनोरंजन नाम के युवक के पिता उनके जानकर हैं. मनोरंजन का घर उनके लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है और युवक लगातार उनके मैसूर और दिल्ली के ऑफिस से पास बनवाने की जिद कर रहा था. उन्होंने बताया कि मनोरंजन ने सागर शर्मा को अपना मित्र बताते हुए उनके दिल्ली ऑफिस से दोनों का पास बनाने का अनुरोध किया और तब उन्होंने दोनों के पास के लिए लिख दिया था. हालांकि, इस मामले में विपक्षी सांसद लगातार भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं.
संसद में सांसदों के पीए की भी एंट्री पर रोक
सूत्रों के मुताबिक इस घटना के बाद लोकसभा ने सदन में सांसदों के निजी सहायकों (पीए) के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस बीच स्पीकर ओम बिरला ने सदन को दिनभर के लिए स्थगित करने से पहले सुरक्षा में चूक को 'गंभीर मुद्दा' करार दिया है, साथ ही उन्होंने सदस्यों को यह भी बताया कि भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की जाएगी. बिरला ने यह भी कहा कि जांच रिपोर्ट के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल सदन की कार्यवाही 14 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है.