एक ऐसा शासक जिसके पास थी सोने और हीरे की खान, मगर कंजूस इतना कि सिगरेट का बचा हिस्सा भी पी जाता था
हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक थे, लेकिन उनके राजसी ठाट-बाट नहीं, बल्कि कंजूसी के किस्से मशहूर हैं.
दुनिया में आपने एक से बढ़कर एक कंजूस देखे होंगे, लेकिन आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे शासक के बारे में जिसके पास हीरे-सोने और नीलम-पुखराज जैसे बहुमूल्य रत्नों की खान थी. सोने की ईंटों से भरे ट्रक बगीचे में खड़े रहते थे. हीरे का इस्तेमाल वो पेपरवेट के तौर पर करता था. लेकिन फिर भी पाई-पाई बचाने के लिए नई तरकीबें तलाश करता था. राजसी वस्त्रों की बजाय बगैर इस्तरी किया हुआ सूती कुर्ता पजामा और पैरों में साधारण सी चप्पल पहनता था. हम बात कर रहे हैं, हैदराबाद के शासक निजाम की. आजाद भारत में जिसे दुनिया का सबसे अमीर लोगों में से एक माना जाता था, लेकिन लोगों के बीच उसके राजसी ठाट-बाट नहीं, बल्कि कंजूसी के किस्से मशहूर थे.
230 बिलियन डॉलर से भी अधिक थी संपत्ति
साल 1911 में उस्मान अली खान हैदराबाद के निजाम बने थे. 1947 में जब भारत आजाद हुआ, तब भी हैदराबाद के निजाम वही थे. उन्होंने 1911 से 1948 तक हैदराबाद पर शासन किया.उस्मान अली खान की कुल संपत्ति उस वक्त 230 बिलियन डॉलर से भी अधिक बताई जाती थी. इतना ही नहीं, निजाम के पास अपनी करेंसी थी. सिक्का ढालने के लिए अपना टकसाल था, 100 मिलियन पाउंड का सोना, 400 मिलियन पाउंड के जवाहरात थे. इसके अलावा उस समय दुनिया के सबसे महंगे हीरों में से एक माना जाने वाला जैकब हीरा था, जिसकी कीमत करीब 50 पाउंड के बराबर थी. इतना ही नहीं, माणिक, मुक्ता, नीलम, पुखराज, सोने की ठोस ईंटें और मोतियों से भरा खजाना था. लेकिन फिर भी निजाम की कंजूसी ने सबको पीछे छोड़ दिया.
मेहमानों की छोड़ी सिगरेट भी नहीं छोड़ते थे
शहूर लेखक डोमिनिक लैपीयरे और लैरी कॉलिन्स अपनी किताब में निजाम की कंजूसी के किस्सों के बारे में लिखा है कि निजाम ऐसे संस्थानों के मालिक थे, जहां सोने के बर्तनों में खाना परोसा जाता था, लेकिन वे खुद साधारण दरी पर बैठकर मामूली प्लेटों में भोजन करते थे. अगर उनके घर में आया मेहमान सिगरेट पीकर छोड़ जाए, तो वो उसका बचा हिस्सा भी पी जाते थे.
35 सालों तक पहनते रहे एक ही टोपी
वे अक्सर मामूली कुर्ता पजामा पहनते थे, जिस पर इस्तरी भी नहीं कराते थे. पैरों में साधारण चप्पल और फटे हुए जूते पहना करते थे. उन्होंने 35 सालों तक एक ही तुर्की टोपी पहनी थी. उसकी हालत ऐसी थी कि उसमें फफूंद लग गई थी और उसकी सिलाई उखड़ चुकी थी. कहा जाता है कि निजाम के शयन कक्ष में पुराना पलंग, टूटी टेबल और कुर्सियां, राख से लदी एक ऐश-ट्रे, कचरे से सनी रद्दी की टोकरियां, कोने-कोने में मकड़ी के जाले लगे रहते थे.
महंगी गाडि़यों के थे शौकीन
निजाम को रॉल्स रॉयस समेत महंगी गाड़ियों का खूब शौक था. कहा जाता है कि जब रोल्स-रॉयस मोटर कार्स लिमिटेड ने मीर उस्मान को अपनी कार बेचने से इनकार कर दिया, तो हैदराबाद के शासक ने कुछ पुरानी रोल्स-रॉयस कारों को खरीद लिया और वे उसे कचरा फेंकने के लिए इस्तेमाल करने लगे थे. कहा जाता है कि जब साल 1965 में भारत और चीन का युद्ध हुआ तो निजाम ने भारत को मदद के रूप में 5000 किलो सोना भेजा था. ये सोना लोहे के बक्सों में भेजा गया था, लेकिन निजाम इतने कंजूस थे कि उन्होंने सोना दिल्ली भेजते वक्त कहा था कि हम सिर्फ सोना दान दे रहे हैं इसलिए इन लोहे के बक्सों को वापस हैदराबाद भिजवा दिया जाए.
आज भी निजाम फैमिली है अरबों की मालिक
1947 में भारत की आजादी के बाद निजाम ने भारत में मिलने से इनकार कर दिया था. लेकिन उनकी करीबी पाकिस्तान से बढ़ गई थी. सितंबर 1948 में भारतीय सेना ने हैदराबाद में घुसकर ऑपरेशन पोलो चलाया और इसके बाद निजाम के हैदराबाद राज्य का भारत में एकीकरण हो गया. इस तरह उस्मान अली खान के शासन का अंत हो गया. कहा जाता है कि आज भी निजाम फैमिली के करोड़ों-अरबों रुपये विदेशी बैंकों में जमा हैं जिसके लिए उसके वंशज अदालतों में लड़ाइयां लड़ रहे हैं.