What is Nomophobia: आज से समय में मोबाइल लोगों की जरूरत बन चुका है. मोबाइल के जरिए किसी भी काम को घर बैठे आसानी से किया जा सकता है. लेकिन किसी भी चीज का अगर जरूरत से ज्‍यादा इस्‍तेमाल‍ किया जाए, तो वो आपके लिए परेशानी पैदा कर सकता है. मोबाइल के मामले में भी ऐसा ही है. जरूरत से ज्‍यादा मोबाइल को इस्‍तेमाल करने की आदत नोमोफोबिया (Nomophobia) की वजह बन सकती है. आइए आपको बताते हैं कि क्‍या है नोमोफोबिया, इसके लक्षण क्‍या हैं और इससे बचने के तरीके क्‍या हैं. 

क्या है नोमोफोबिया ? 

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जब किसी इंसान को मोबाइल की लत लग जाती है, तो इसे मेडिकल भाषा में नोमोफोबिया कहा जाता है. ये शब्‍द 'नो मोबाइल फोबिया' से मिलकर बना है. इसमें व्‍यक्ति को एक तरह का फोबिया हो जाता है कि कहीं उसका मोबाइल उससे दूर न हो जाए. नोमोफोबिया की स्थिति में व्‍यक्ति मोबाइल के बिना नहीं रह पाता. नोमोफोबिया व्‍यक्ति के दिमाग पर असर डालता है.

ये लक्षण आते सामने

  • मोबाइल को बार बार चेक करना
  • जरा भी देर के लिए मोबाइल को खुद से दूर न करना
  • अगर मोबाइल में कुछ दिक्कत आ जाए तो घबरा जाना
  • कॉल, मैसेज या नोटिफिकेशन को बार-बार चेक करना
  • इंटरनेट काम न करने पर बेचैन हो जाना
  • ऐसे लोग मोबाइल स्विच ऑफ करने से भी कतराते हैं

नोमोफोबिया का सेहत पर असर

नोमोफोबिया कोई मानसिक विकार है या नहीं, ये अभी सिद्ध नहीं हुआ है, लेकिन इसका असर दिमाग पर जरूर पड़ता है. इसकी वजह से शरीर में मेलाटोनिन की मात्रा कम होती है और नींद आने में दिक्कत आती है.

इसके अलावा नोमोफोबिया व्‍यक्ति की आंखों पर भी बुरा असर डालता है. इसके कारण आंखों से पानी आने की समस्‍या हो सकती है, जो जो की Vision Syndrome का रूप ले सकती है.

नोमोफोबिया से कैसे करें बचाव?

  • मोबाइल इस्तेमाल करने की एक लिमिट सेट कर लें और उसी के अनुसार मोबाइल का प्रयोग करें.
  • अपने फोन में केवल काम के नोटिफिकेशन को चालू रखें. फिजूल नोटिफिकेशन को म्‍यूट कर दें, ताकि बार-बार इसे चेक करने की आदत को नियंत्रित किया जा सके. 
  • कोशिश करें की मोबाइल चलाने के अलावा कुछ प्रोडक्टिव काम करें जैसे वॉक पर जाएं, आउटडोर गेम खेलें, किताबें पढ़ें.
  • मोबाइल में समय बिताने की बजाय अपने दोस्‍तों, करीबियों और परिवार के सदस्‍यों के साथ समय बिताएं.