National Voters Day 2023: भारत में किसको मिला है वोट देने का हक? जानिए मतदान से जुड़ हर अधिकार के बारे में
आज देश 13वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मना रहा है. इस साल वोटर्स डे की थीम 'Nothing Like Voting, I vote for sure' रखी गई है. आइए इस मौके पर आपको बताते हैं भारत में वोट देने के हक किसको मिला है और मतदान से जुड़े अधिकार क्या हैं.
हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस (National Voters Day) सेलिब्रेट किया जाता है. इसका उद्देश्य नागरिकों के बीच चुनावी जागरुकता पैदा करना और उन्हें चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना होता है. किसी भी लोकतांत्रिक देश की सरकार बनाने में सबसे बड़ी भूमिका मतदाताओं की होती है. ऐसे में ये बहुत जरूरी है कि मतदाता अपने वोट देने के सभी अधिकारों के बारे में जानें क्योंकि उनके कीमती वोट से ही देश और राज्यों में 5 साल के लिए किसी भी सरकार की सत्ता आती है. आज देश 13वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मना रहा है. इस साल वोटर्स डे की थीम 'Nothing Like Voting, I vote for sure' रखी गई है. आइए इस मौके पर आपको बताते हैं भारत में वोट देने के हक किसको मिला है और मतदान से जुड़े अधिकार क्या हैं.
किसको है वोट देने का हक
भारतीय संविधान के मुताबिक 18 साल से ऊपर के लोग जिन्होंने खुद को वोटर के रूप में रजिस्टर्ड किया हुआ है उन्हें वोट देने का अधिकार है. ये लोग राष्ट्रीय, राज्य, जिला स्तर पर होने वाले चुनावों के साथ स्थानीय सरकारी निकायों के चुनावों में भी वोट देने का अधिकार रखते हैं. जब तक कोई व्यक्ति वोट न देने के मापदंडों में न आता हो, तब तक उससे मतदान करने का हक कोई नहीं छीन सकता. लेकिन इसके लिए व्यक्ति को अपने निवास स्थान पर ही खुद को रजिस्टर्ड कराना होगा. साथ ही मतदाता अपने पंजीकृत क्षेत्र में ही मतदान कर सकता है.
कुछ समय पहले तक NRI को वोट करने का अधिकार नहीं था, लेकिन साल 2010 में एक संशोधन किया गया, जो NRI को मतदाताओं के रूप में खुद को पंजीकृत करने और चुनावों में मतदान करने की अनुमति देता है. पासपोर्ट में दिए गए पते के आधार पर प्रवासी भारतीय को सामान्य रूप से निवासी माना जाता है और उनका वोटिंग अधिकार होता है.
मतदाताओं के अधिकार
सभी मतदाताओं को चुनाव में हिस्सा लेने वाले सभी प्रत्याशियों की जानकारी लेने का पूरा अधिकार होता है. इस अधिकार के जरिए कोई भी व्यक्ति प्रत्याशियों के चुनाव घोषणा पत्र की जानकारी, उनका वित्तीय लेखा-जोखा और आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में जान सकता है.
वोटर अगर किसी प्रत्याशी को वोट देने लायक नहीं समझता तो उसे किसी को वोट न देने का भी अधिकार है. ऐसे में वो नोटा के जरिए चुनाव में उतरे किसी भी प्रत्याशी को न चुनने के अधिकार का इस्तेमाल कर सकता है.
80 साल से अधिक आयु के बुजुर्ग और दिव्यांग अगर चाहें तो अपनी इच्छानुसार मतदान केंद्र पर जाकर भी वोट दे सकते हैं. अगर वे नहीं जा सकते तो उन्हें डाक पत्र के जरिए मतदान करने का अधिकार दिया जाता है. उनके सामने दोनों ही विकल्प मौजूद हैं.
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