कोविड-19 (Covid-19) का दौर हम सबने देखा है. कोविड जैसी महामारी के बीच वैक्‍सीनेशन की क्‍या अहमियत रही, ये हम सब अच्‍छी तरह से समझ सकते हैं. आज भी कोविड का टीकाकरण अभियान जारी है. कोविड से पहले भी भारत में पोलियो, चेचक जैसी बीमारियां महामारी का रूप ले चुकी हैं और इनसे निजात दिलाने के लिए समय-समय पर टीकाकरण अभियान चलाए जाते रहे हैं. वैक्‍सीन वायरस और बैक्‍टीरिया से हमारा बचाव करते हैं और हमें गंभीर बीमारियों से बचाते हैं. लोगों को टीकाकरण का मतलब समझाने के उद्देश्‍य से हर साल 16 मार्च को नेशनल वैक्‍सीनेशन डे (National Vaccination Day) के तौर पर मनाया जाता है.

भारत में टीकाकरण का इतिहास

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भारत में टीकाकरण का इतिहास बहुत पुराना है. टीकाकरण की शुरुआत 1802 में हुई थी. तब पहली बार  मुंबई की एक 3 वर्षीय बच्ची को चेचक के टीके की पहली खुराक दी गई थी. चेचक महामारी को कम करने के लिए भारत में 1896 में अनिवार्य टीकाकरण अधिनियम पारित किया गया था. बीसवीं शताब्दी के शुरुआत में देश में कम से कम 4 टीके( चेचक, हैजा, प्लेग और टाइफाइड) उपलब्ध थे. एक तरफ हैजा और प्‍लेग तेजी से पैर पसार रहे थे, दूसरी तरफ उन्‍हें टीकाकरण के जरिए नियंत्रित किया जा रहा था. अगस्त 1948 में भारत ने पहला बीसीजी टीकाकरण किया. 1951 में बीसीजी टीके का व्‍यापक अभियान शुरू किया गया और 1977 में भारत को चेचक मुक्‍त घोषित कर दिया गया.

क्‍या है राष्‍ट्रीय टीकाकरण का इतिहास

अब अगर 16 मार्च को राष्‍ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाए जाने की बात करें तो पहली बार नेशनल वैक्‍सीनेशन डे को 16 मार्च 1995 में मनाया गया था. उस दिन पहली बार ओरल पोलियो वैक्सीन यानी कि मुंह के माध्यम से पोलियो वैक्सीन दी गई थी और इसी के साथ भारत सरकार ने पोलियो को जड़ से खत्म करने का अभियान ‘पल्स पोलियो’ (Pulse Polio) शुरू किया था. ये वो दौर था जब भारत में पोलियो के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे थे. उस समय पल्‍स पोलियो अभियान के तहत 5 वर्ष तक के सभी बच्चों को समय-समय पर पोलियो वैक्सीन की बूंद दी जाती थी. पोलियो के खिलाफ व्‍यापक रूप से चलाए गए इस अभियान का ये असर हुआ कि 2014 में भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया गया. 

टीकाकरण दिवस का इतिहास

चेचक और पोलियो जैसी बीमारियों के बाद एक बार फिर से कोविड के दौर में वैक्‍सीनेशन लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है. हर साल टीकाकरण दिवस मनाने का उद्देश्‍य लोगों को वैक्‍सीनेशन की अहमियत को समझाना है. वैक्‍सीन न सिर्फ बच्‍चों को बल्कि बड़ों को भी तमाम गंभीर बीमारियों से बचाने में मददगार है. WHOकी मानें तो हर साल टीकाकरण की मदद से करीब 2-3 मिलियन लोगों की जान बचाई जाती है.

 

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