मिर्गी (Epilepsy) एक न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है. इस समस्‍या में मस्‍तिष्‍क की तंत्रिका कोशिकाओं की गतिविधियां बाधित होने के कारण व्‍यक्ति को दौरे पड़ने लगते हैं, वो कुछ समय तक असामान्‍य व्‍यवहार कर सकता है. कई बार बेहोश भी हो जाता है. भारत में लोगों को इस बीमारी को लेकर जागरुक करने के लिए हर साल 17 नवंबर को नेशनल एपिलेप्‍सी डे (National Epilepsy Day) मनाया जाता है. आइए आज इस मौके पर बताते हैं इस बीमारी के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में.

क्‍या है वजह

  • आनुवांशिक वजह
  • सिर पर गंभीर चोट
  • ब्रेन ट्यूमर या सिस्‍ट
  • अल्‍जाइमर
  • एड्स

ये चीजें करती हैं ट्रिगर

  • अधिक चिंता, डिप्रेशन
  • ज्‍यादा शराब या सिगरेट की आदत
  • नींद से जुड़ी समस्‍या
  • गलत खानपान
  • ब्रेन से जुड़ी परेशानी
  • चाय-कॉफी, कोल्‍डड्रिंक ज्‍यादा लेना
  • एलर्जी वाली कुछ दवाएं

मिर्गी के लक्षण

  • अचानक खड़े-खड़े गिर जाना
  • कुछ समय के लिए कुछ भी याद नहीं रहना
  • चेहरे, गर्दन और हाथ की मांसपेशियों में बार-बार झटके आना
  • अचानक गुस्सा आना
  • कंफ्यूजन फील होना
  • डर
  • एंग्जाइटी
  • चक्कर आना
  • लगातार ताली बजाना या हाथ रगड़ना

क्‍या है इस बीमारी का इलाज

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उम्र और स्थिति के हिसाब से इस बीमारी का इलाज किया जाता है. कुछ मरीजों को छह महीने, एक साल दवा खानी पड़ सकती है, वहीं कुछ को 3 से 5 साल तक दवा खानी पड़ सकती है. अगर तीन साल तक लगातार इस बीमारी का इलाज कराया जाए तो काफी हद तक इलाज का असर नजर आता है. हालांकि इलाज के साथ इस समस्‍या को कंट्रोल रखने के लिए थोड़ी सावधानी भी बरतनी होती है. 20% से 30% लोगों को इसकी दवाई ताउम्र खानी पड़ सकती है.

क्‍या है बचाव

  • बीमारी से जुड़ी जो भी दवाएं निर्देशित की गई हैं, उन्‍हें समय से लें. अगर दवा लेना भूल गए हैं तो डॉक्‍टर से बात करें.
  • 7 से 9 घंटे की नींद अच्‍छे से पूरी करें.
  • चाय-कॉफी, सिगरेट-शराब और इस बीमारी को ट्रिगर करने वाली चीजों से दूर रहें.
  • स्‍ट्रेस को नियंत्रित करने के लिए मेडिटेशन और योग वगैरह करें.
  • ड्राइविंग, स्विमिंग या एडवेंचर स्पोर्ट्स जैसी गतिविधियों से बचें.

Disclaimer: ये आर्टिकल सामान्‍य जानकारी के लिए है. किसी भी तरह की समस्‍या होने पर विशेषज्ञ से परामर्श करें.