Why sky is blue: हिर किसी को आकाश का रंग नीला  दिखाई देता है. इसके नीले रंग को लेकर बॉलीवुड में कई सारे गाने भी बन चुके हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर यह नीला ही क्यों दिखाई देता है? जबकि सूर्य की किरण में सात रंग होते हैं. कुछ लोगों का यह मानना है कि इसके पीछे दैवीय कारण है. कुछ लोगों का यह मानना है कि समंदर का रंग नीला होता है, इसलिए आसमान का रंग भी नीला है. ज्यादातर लोग इसके पीछे वैज्ञानिक कारणों से इनकार करते हैं. हालांकि, विज्ञान का कहना है कि नीले रंग के पीछे साइंस के अलावा कुछ नहीं है.

सूर्य की किरण में 7 रंग होते हैं

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अगर आपने बचपन में साइंस पढ़ा होगा तो यह जरूर जानते होंगे कि कि सूर्य की किरण में सात रंग होते हैं. अंग्रेजी में इन्हें VIBGYOR (Violet-Indigo-Blue-Green-Yellow-Orange-Red) कहते हैं. हिंदी मे इसे बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल कहते हैं. वायलट यानी बैंगनी का वेबलेंथ सबसे कम होता है. रेड यानी लाल का वेबलेंथ सबसे ज्यादा होता है. VIBGYOR का वेबलेंथ रेड की तरफ बढ़ते क्रम में है.

नीले कलर का डेविएशन सबसे ज्यादा होता है

जब सूर्य की किरण हमारे वातावरण में प्रवेश करती है तो छोटे-छोटे, आंखों से नहीं दिखने वाले पार्टिकल से टकरा कर यह रिफ्लेक्ट हो जाती है. ये पार्टिकल नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बने होते हैं. साइंस के मुताबिक, सातों कलर के लिए वेबलेंथ अलग-अलग होता है. बैंगनी का वेबलेंथ सबसे कम और लाल का सबसे ज्यादा होता है. वेबलेंथ कम होने के कारण उसका डेविएशन ज्यादा होता है. यही वजह है कि सूर्य की किरणों में डेविएशन सबसे ज्यादा नीले कलर का होता है और हमें आसमान का कलर नीला दिखाई देता है.

आखिर बैंगनी क्यों नहीं दिखता है आकाश?

आपके मन में यहां एक और सवाल उठ रहा होगा कि वेबलेंथ तो सबसे कम बैंगनी यानी VIOLET कलर का होता है. ऐसे में आसमान नीला की जगह बैंगनी दिखना चाहिए. साइंस के मुताबिक, सूर्य की किरण में बैंगनी कलर की मात्रा बहुत कम होती है जिसके कारण नीले कलर का छितराव (डेविएशन) हावी हो जाता है और यह आसमान नीला दिखाई देता है.

अंतरिक्ष से आकाश का रंग काला दिखाई देता है

आपको यह भी पता होनी चाहिए की अंतरिक्ष से देखने पर आकाश का रंग काला दिखाई देता है. अंतरिक्ष में वायुमंडल नहीं है. ऐसे में सूर्य की किरण का डेविएशन नहीं हो पाता है और यह काला दिखाई देता है.  VIBGYOR के सातों कलर जब मिल जाते हैं तो वह काला हो जाता है. अगर कोई ऑब्जेक्ट सभी कलर को रिसीव कर ले तो वह काला दिखाई देगा. अगर सभी कलर को वापस कर दे यानी रिफ्लेक्ट कर दे तो वह उजला दिखाई देगा. यही  वजह है कि गर्मी के मौसम में काले कपड़े में ज्यादा गरमी लगती है, क्योंकि यह सूर्य की सभी किरणों को सोख लेता है. उजले कपड़ों में कम गर्मी लगती है, क्योंकि यह सभी कलर को रिफ्लेक्ट कर देता है.

 

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