चेन स्मोकर्स के लिए बहुत मददगार हो सकती है AIIMS की ये स्टडी, आपको भी है सिगरेट की लत तो हो सकते हैं शामिल
एम्स 50 साल से अधिक उम्र के लोगों पर एक स्टडी करने जा रहा है. ये स्टडी समय रहते फेफड़ों के कैंसर का पता लगाने के लिए है. कोई भी इसका हिस्सा बन सकता है.
जो लोग सिगरेट बहुत ज्यादा पीते हैं, उनमें सामान्य लोगों के मुकाबले फेफड़ों के कैंसर का खतरा कई गुना ज्यादा रहता है. आमतौर पर फेफड़ों के कैंसर के लिए किए जाने वाले टेस्ट में जब तक कैंसर के होने का पता चलता है, तब तक बीमारी इतनी फैल चुकी होती है कि मरीज के पास जीने का समय ही खत्म हो जाता है. फेफड़ों के कैंसर का पता चलने के बाद औसतन 8 से 9 महीने की उम्र ही एक मरीज के पास बाकी रह जाती है.
इस तरह के रिस्क को खत्म करने के लिए एम्स अब खास तकनीक पर काम कर रहा है, ताकि फेफड़ों के कैंसर की पहचान समय रहते की जा सके, ताकि मरीज की जान को बचाया जा सके. इसके लिए एम्स एक परीक्षण कर रहा है. इस परीक्षण में लो-डोज़ सीटी स्कैन के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि क्या सीटी स्कैन में नजर आने वाले बदलावों से शुरुआती स्टेज में ही फेफड़े का कैंसर पकड़ा जा सकता है?
इसके लिए एम्स के पलमोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट ने आम लोगों से गुजारिश की है कि वे चाहें तो इस स्टडी का हिस्सा बन सकते हैं. इस स्टडी में 50 वर्ष की उम्र से ज्यादा वाले ऐसे लोगों को शामिल किया जाएगा जो हैवी स्मोकर हैं.
स्टडी का हिस्सा बनने वाले लोगों का फ्री में सीटी स्कैन किया जाएगा. यह सीटी स्कैन लो डोज पर किए जाएंगे. इन्हें एक से ज्यादा बार भी किया जा सकता है हालांकि यह स्टडी सीमित अवधि के लिए जा रही है और कुछ ही दिनों में इसकी एप्लीकेशन बंद कर दी जाएंगी.