सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) इस साल दिवाली (Diwali) के अगले दिन यानी 25 अक्‍टूबर को पड़ रहा है. ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है. सूतक काल (Sutak Kaal) के दौरान प्रकृति अत्याधिक संवेदनशील अवस्था में होती है. ऐसे में वातावरण में मौजूद चीजें नकारात्‍मक असर छोड़ती हैं. इसे दूषित काल माना जाता है. सूतक काल शुरु होने से लेकर ग्रहण समाप्‍त होने तक के समय में खाने-पीने और खाना बनाने की मनाही होती है. इस बीच खाने-पीने की सभी चीजों को सुरक्षित रखने के लिए तुलसी का पत्‍ता डाल दिया जाता है. लेकिन क्‍या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर सूतक काल में तुलसी के पत्‍ते का ही इस्‍तेमाल क्‍यों किया जाता है? यहां जानिए इसकी वजह...

जानिए क्‍या है वजह

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इस मामले में ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि धार्मिक मान्‍यता है कि जिन चीजों में तुलसी का पत्‍ता पड़ जाता है, उन चीजों में किसी भी तरह का नकारात्‍मक प्रभाव नहीं होता. इसकी वजह है कि धार्मिक रूप से तुलसी को दोषों का नाश करने वाला माना गया है, इसलिए जिस चीज में तुलसी का एक भी पत्‍ता मौजूद हो, वो चीज अशुद्ध नहीं हो सकती. इसके अलावा अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो तुलसी के पत्ते में पारा और ऐसे आर्सेनिक गुण मौजूद होते हैं, जो वातावरण में मौजूद नकारात्‍मक किरणों से चीजों को दूषित नहीं होने देते. इसलिए सूतक काल और ग्रहण काल के नकारात्‍मक प्रभाव से बचाने के लिए खाने-पीने की चीजों में तुलसी का पत्‍ता डाला जाता है. 

सूतक शुरु होने से पहले डालें तुलसी का पत्‍ता

ज्‍योतिषाचार्य का कहना है कि तुलसी का पत्‍ता सूतक शुरू होने से पहले ही डाल देना चाहिए और सामान को ढक कर रख देना चाहिए. इस बार सूर्य ग्रहण के दौरान भारत में सूतक सुबह 04 बजकर 22 मिनट से लग जाएगा. ऐसे में आप रात में ही सामान में तुलसी का पत्‍ता डाल सकते हैं. 

एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें तुलसी 

ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र बताते हैं कि तुलसी के पत्‍ते को सूतक काल से पहले ही तोड़ लेना चाहिए. सूतक मंगलवार की सुबह से शुरू होंगे, ऐसे में आप तुलसी के पत्‍तों को सोमवार की सुबह ही स्‍नान के बाद तोड़कर रख लें. शाम के समय अमावस्‍या तिथि शुरू हो जाएगी. ऐसे में सोमवार की शाम को भूलकर भी तुलसी के पत्‍ते न तोड़ें. इस दिन तुलसी टूटना वर्जित माना गया है.