व्रत में खाया जाने वाला साबूदाना पेड़ पर उगता है या किसी चीज से तैयार होता है, कभी सोचा है आपने कि ये बनता कैसे है?
आपने भी साबूदाने को कई बार खाया होगा, लेकिन क्या कभी दिमाग में ये खयाल नहीं आया कि आखिर ये साबूदाना बनता कैसे है? क्या इसे मशीन से बनाया जाता है या ये पेड़ पर उगने वाली नेचुरल चीज है?
साबूदाना का इस्तेमाल आमतौर पर व्रत में किया जाता है. फलाहार के रूप में इसकी खिचड़ी, खीर आदि तमाम व्यंजन बनाकर खाए जाते हैं. साबूदाना सिर्फ टेस्ट में ही लाजवाब नहीं होता, बल्कि सेहत के लिहाज से भी इसे काफी फायदेमंद माना जाता है. मार्केट में तीन तरह का साबूदाना मिलता है, छोटा साबूदाना जो एकदम बारीक चीनी जैसा होता है, मीडियम साइज साबूदाना और बड़ा साबूदाना. बड़े साबूदाने को फ्राई करके खाया जाता है. छोटे और मीडियम साइज के साबूदाने की खीर, खिचड़ी और कटलेट वगैरह बनते हैं. आपने भी साबूदाने को कई बार खाया होगा, लेकिन क्या कभी दिमाग में ये खयाल नहीं आया कि आखिर ये साबूदाना बनता कैसे है? क्या इसे मशीन से बनाया जाता है या ये पेड़ पर उगने वाली नेचुरल चीज है? आइए आपको बताते हैं इस बारे में.
किस चीज से बनता है साबूदाना
साबूदाना किसी पेड़ पर उगने वाली चीज नहीं है, बल्कि इसे बनाया जाता है और बनाने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है. इसे सागो पाम नामक पेड़ से बनाया जाता है. पहले सागो पाम पौधे अमेरिका में पाए जाते थे. वहां से ये अफ्रीका पहुंचा. 19वीं सदी के बाद ये भारत आया. दक्षिण भारत के केरल, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में इसकी खेती की जाती है.
कैसे तैयार होता है साबूदाना
साबूदाना बनाने के लिए पाम सागो के तने के बीच से टैपिओका रूट को निकाला जाता है, इसे कसावा भी कहा जाता है. कसावा देखने में शकरकंद से मिलता जुलता है. इसे काटकर बड़े-बड़े बर्तनों में रखा जाता है और उसमें रोजाना पानी डाला जाता है. इसे प्रक्रिया को लंबे समय तक दोहराया जाता है. फिर इसके गूदे को मशीनों में डालकर अलग-अलग आकार का साबूदाना तैयार किया जाता है और उसे सुखाया जाता है. सूखने के बाद इसमें ग्लूकोज और स्टार्च से बने पाउडर की पॉलिश की जाती है. इससे साबूदाने में चमक आ जाती है और ये सफेद चमचमाती गोल-गोल गोलियों की तरह दिखने लगता है. इसके बाद इसे बाजार में लाया जाता है.
कितना फायदेमंद माना जाता है साबूदाना
सेहत के लिहाज से साबूदाने को काफी फायदेमंद माना जाता है. ये कैल्शियम, आयरन और विटामिन के से भरपूर होता है और हड्डियों की मजबूती के लिए अच्छा माना जाता है. इसके अलावा साबूदाने में फाइबर की काफी मात्रा होती है. ये पेट के लिए काफी फायदेमंद है. कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होने के कारण ये व्रत के दौरान इंस्टेंट एनर्जी देने का काम करता है. साबूदाना ग्लूटन फ्री होता है, ऐसे में वो लोग भी इसे आसानी से खा सकते हैं, जिन्हें गेहूं से एलर्जी होती है. लेकिन इसे अच्छी तरह से पकाने के बाद ही खाना चाहिए, वरना पेट में दर्द की परेशानी हो सकती है.
क्यों शुद्धता पर उठते हैं सवाल
साबूदाना व्रत में ज्यादातर लोग खाते हैं, लेकिन तमाम लोग ऐसे भी हैं, जो साबूदाने को व्रत के लिए शुद्ध नहीं मानते. उसकी वजह है इसे तैयार करने की प्रक्रिया. दरअसल लंबे समय तक जब कसावा को पानी में डालकर रखा जाता है, तो कई बार इसमें कीड़े लग जाते हैं और पानी भी सड़ जाता है. ऐसे में तमाम लोगों का मानना है कि साबूदाने को व्रत में नहीं खाना चाहिए.