Online Gaming Habits in Children: अप्रैल का महीना शुरू हो चुका है और बहुत जल्द भीषण गर्मी को देखते हुए बच्चों के लिए गर्मी की छुट्टी भी पड़ जाएंगी. पूरे भारत में इस समय गर्मियों का मौसम शुरू हो चुका है और तपन भरी इस गर्मी में भारत के कई राज्यों में या तो स्कूलों ने समर वेकेशन के चलते स्कूल बंद कर दिए हैं या फिर कई राज्यो में अगले कुछ दिनों में बच्चों के समर वेकेशन शुरू हो भी जाएंगे. लेकिन गर्मियों की छुट्टियों पहला सवाल ये उठेगा कि आपका बच्चा इस गर्मी की छुट्टी में क्या कर रहा है तो आप में से ज्यादातर अभिभावकों का जवाब होगा कि घर मे बैठ कर दिन भर फोन चला रहा है और यह आज बच्चों के अभिभावकों की सबसे बड़ी समस्या भी बन गई है.

85% माता-पिता बच्चों की इस आदत से परेशान

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बेंगलौर स्थित रिसर्च फर्म Kantar (कान्तार) की रिसर्च के मुताबिक भारत के 85 फीसदी माता-पिता इस बात से परेशान हैं कि उनका बच्चा गर्मियों की छुट्टी में दिन भर बस फोन पर लगा हुआ है. यह रिसर्च उन अभिभावकों पर की गई है जिनके बच्चे 3 से 8 वर्ष की उम्र के हैं. 

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गर्मियों की छुट्टियां माता-पिता के लिए टेंशन

रिसर्च में शामिल 96 फीसदी अभिभावक तो ऐसे हैं जो उन तरीकों के बारे में खोज रहे हैं जिससे उनके बच्चे मोबाइल फोन से दूर रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा सीखने वाले और मजेदार एक्टिविटीज करें. वहीं कुल 82 फीसदी अभिभावक इस बात से परेशान हैं कि कैसे गर्मियों की छुट्टी में बच्चे को अन्य काम जैसे खेल कूद में लगाया जाए.

सोशल मीडिया की कितनी बड़ी भूमिका?

रिसर्च में जिस बात को सबसे ज्यादा जोर देकर बताया गया है वो ये है कि बच्चों के अभिभावक सबसे ज्यादा इस बात से परेशान हैं कि उनका बच्चा गर्मी में छुट्टी में बाहर खेलने के बजाए सिर्फ फोन पर ही लगा हुआ है लेकिन बड़ा सवाल यह है की क्या आपका बच्चा सच मे मोबाइल फोन पर लगा हुआ है या फिर जानबूझकर कर गेमिंग कंपनियां और सोशल मीडिया कंपनियां आपके बच्चे को फोन में लगा रही हैं?

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गर्मियों की छुट्टियों में लॉन्च होते हैं गेम्स

यह सवाल हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि विशेषज्ञों की माने तो विश्व की ज्यादातर गेमिंग कंपनियां जानबूझकर कर गर्मियों की छुट्टी के समय ही नए नए गेम लॉन्च करती हैं या फिर गेम में कोई बड़ा अपडेट लॉन्च करती हैं क्योंकि उन्हें पता है कि बच्चे को अपने जाल में फंसाने का यही सबसे सही समय है. 

साइबर विशेषज्ञ अमित दुबे का कहना है कि गर्मी की छुट्टियों में आज बच्चे सिर्फ ऑनलाइन गेम ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया का भी बेतहाशा इस्तेमाल कर रहे हैं. शायद आपका बच्चा भी इस समय छुट्टी में दिन भर सोशल मीडिया चलाता होगा लेकिन आज के दौर में सोशल मीडिया ने बच्चों पर इस कदर बुरा प्रभाव डाल दिया है कि बच्चों का संतुष्ट होने का स्तर कम हो गया है.

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बच्चों के संतुष्टि लेवल पर पड़ा असर

पिछले साल मार्च में जर्नल नेचर में प्रकाशित ब्रिटेन के ऑक्सफ़ोर्ड और कैम्ब्रिज विश्विद्यालय द्वारा 7 साल तक बच्चों पर किए गए शोध में सामने आया है कि सोशल मीडिया की लत की वजह से बच्चों के जीवन से "सन्तुष्टि" चली गई है. बच्चे छोटी-छोटी चीज़ों की शिकायत करने लगें हैं, जैसे बच्चों को अपने कपड़े खराब लगने हैं क्योंकि सोशल मीडिया पर उनकी फ्रेंड लिस्ट में मौजूद दूसरे बच्चे ने उनसे अच्छे कपड़े पहने हैं, उनके सोशल मीडिया फ्रेंड के पास किसी गैज़ेट जैसे मोबाइल, लैपटॉप का नया वर्जन है तो बच्चे इस बात पर उदास होने लगे हैं और खुद का महंगा गैज़ेट भी उन्हें खराब लगने लगा है.

इसके अलावा साल 2011-2018 तक 7 साल तक चले अपने शोध में वैज्ञानिकों ने बच्चों पर सोशल मीडिया के प्रभाव की इस स्टडी करने के लिए बच्चे जब सोशल मीडिया नहीं चलाते थे उनके तब के संतुष्टी का स्तर और सोशल मीडिया चलाने के बाद के संतुष्टी के लेवल की स्टडी की थी.

बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग की है लत को अपनाएं ये टिप्स

फॉर्टिस अस्पताल, नोएडी की डॉक्टर हेमिका अग्रवाल ने बच्चों को लगने वाली ऑनलाइन गेमिंग की लत से बचाने के लिए कुछ टिप्ल को अपनाने की बात कही है. उन्होंने बताया कि अगर आपके बच्चे को भी ऑनलाइन गेमिंग या सोशल मीडिया की लत लगी हुई है तो आपके लिए हमारी कुछ जरूरी टिप्स अपना सकते हैं.

  • बच्चे के सामने आप भी घंटों मोबाइल ना चलाएं क्योंकि बच्चा आस पास के माहौल से ही सीखता है.. उसे समय दें और उसके साथ घूमें.
  • बच्चे को मोबाइल फोन के बजाए बाहर दोस्तों के साथ आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रेरित करें, हो सके तो खुद भी बाहर जाकर बच्चे के साथ आप खेलें.
  • बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों के बारे में बताएं और उसे समझाएं की क्यों घंटों मोबाइल का इस्तेमा करना हानिकारक है. 

(शिवांग मिश्रा की रिपोर्ट)

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