आज के समय में लोगों के पास काम का प्रेशर बहुत ज्‍यादा है. कई बार तो लोड इतना बढ़ जाता है कि स्‍ट्रेस के चलते नींद भी ठीक से पूरी नहीं हो पाती. इस स्थिति में NSDR यानी Non-Sleep Deep Rest की ट्रिक आपके लिए बहुत काम की साबित हो सकती है. 20 से 30 मिनट की ये ट्रिक आपको इतना रिलैक्‍स महसूस करवा सकती है कि मानों आपने 7 से 8 घंटे की नींद पूरी कर ली हो. इससे आपका स्‍ट्रैस भी दूर होता है और आपकी थकान भी कम होती है. गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई भी NSDR का अभ्‍यास करते हैं. एक इंटरव्‍यू में वो इस बात का जिक्र कर चुके हैं. आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.

जानिए क्‍या है Non-Sleep Deep Rest 

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Non-Sleep Deep Rest से स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉ. एंड्रयू ह्यूबरमैन ने परिचित करवाया था. इसमें अपनी आंखें बंद करके आपको 20 से 30 मिनट के लिए लेटना होता है. 20 से 30 मिनट की इस प्रक्रिया में ध्‍यान लगाया जाता है. ये एक ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से आप तनाव, चिंता और डिप्रेशन को दूर कर सकते हैं. यहां तक कि अपने काम करने की क्षमता और सीखने की क्षमता को भी बेहतर बना सकते हैं. अगर आपकी रात की नींद पूरी नहीं हुई है, तो आप इस तकनीक की मदद से अपने दिमाग और शरीर को आसानी से रिलैक्‍स कर सकते हैं. एंड्रयू ह्यूबरमैन बता चुके हैं कि वे खुद भी सालों से NSDR प्रैक्टिस कर रहे हैं. वे इसे अपनी नींद पूरी करने और फोकस रहने का बेस्ट टूल मानते हैं.

भारत के लिए बहुत परानी है ये तकनीक

Non-Sleep Deep Rest बेशक दुनिया के लिए नई तकनीक हो, लेकिन भारत के लिए ये बहुत प्राचीन है. भारत में इसे योगनिद्रा के नाम से जाना जाता है. तमाम ग्रंथों में इसका जिक्र किया गया है. यहां तक कि पतंजलि के योग सूत्र में भी इसका जिक्र किया गया है. योगनिद्रा को भारत की ही देन कहा जाता है. योगनिद्रा के जरिए दिमाग में मौजूद न्यूरॉन कई तरंगें उत्पन्न करते हैं. इनमें से अल्फा तरंगें हमें खुश रखने का काम करती हैं. योगनिद्रा के अभ्‍यास से अल्फा तरंगों की एक्टिविटी बढ़ जाती है और तनाव कम हो जाता है. इससे दिमाग बेहतर महसूस करता है. NSDR के पीछे भी योगनिद्रा का ही विज्ञान है.

योग निद्रा का तरीका

  • शांत और कम रोशनी वाली जगह पर पीठ के बल लेट जाएं.
  • शरीर को ढीला छोड़ दें और हथेलियों को खोल दें.अपना चेहरा आसमान की ओर रखें और आंखें बंद कर लें.
  • गहरी सांस लें. इसके बाद सामान्य सांस लेते हुए दाहिने पैर के पंजे पर ध्यान लगाएं.
  • इसके बाद अपना ध्यान पंजे से घुटने, फिर जांघ पर लाएं. इस प्रक्रिया को दूसरे पैर पर भी दोहराएं.
  • ऐसे ही आगे बढ़ते हुए ध्‍यान को पेट, गले छाती और शरीर के अन्‍य अंगों पर ले जाते हुए सिर तक ले जाएं.
  • फिर गहरी सांस लेकर कुछ देर एकदम शांत इसी स्थिति में आंखें बंद करके लेटे रहें.
  • इसके बाद दाहिनी करवट लेकर बाईं नाक से सांस छोड़ें.
  • थोड़ी देर बाद धीरे से उठकर बैठ जाएं और धीरे-धीरे अपनी आंखें खोल लें.

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