Mahashivratri 2023 Lord Shiva 12 Jyotrilinga: महाशिवरात्रि के त्योहार में पूरे देश में धूम है. मंदिरों में भक्तों की भीड़ जमा हुई है. भोलेनाथ के इस खास दिन में श्रद्धालु पूरा दिन व्रत रखकर शिवजी की पूजा करते हैं. देवों के देव महादेव की आराधना से मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शिवलिंग पर मात्र जल चढ़ाने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं. शिवजी की पूजा में ज्योतिर्लिंगों का बेहद महत्व है. शिवपुराण कथा में बारह ज्योतिर्लिंगों की महिमा बतायी गई है. इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन और पूजन भक्तों के जन्म-जन्मांतर के सारे पाप व कष्ट दूर हो जाते हैं.  

ज्योतिर्लिंग का अर्थ और 12 ज्योतिर्लिंग

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ज्योतिर्लिंग का अर्थ है भगवान शिव का ज्योति के रूप में प्रकट होना। शिवपुराण कथा के अनुसार भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुनम्, वैद्यनाथम्, केदारनाथम्, सोमनाथम्, भीमशंकरम्, नागेश्वरम्, विश्वेश्वरम्, त्र्यंम्बकेश्वर, रामेश्वर, घृष्णेश्वरम्, ममलेश्वर व महाकालेश्वरम. हर एक ज्योतिर्लिंग के पीछे एक विशेष कथा है. मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करता है उसके जन्म-जन्मांतर के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. ज्योतिर्लिंग को मानव के द्वारा नहीं बनाया गया हैं. इन्हें सृष्टि को गतिमान बनाए रखने और इसके कल्याण के लिए स्थापित किए गए हैं. 

सोमनाथ

सोमनाथ मंदिर  12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम है. यह मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग का निर्माण स्वंय चन्द्रदेव ने किया था.  पौराणिक लोककथाओं के अनुसार,यहां पर श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था. राजा दक्षप्रजापति ने चंद्रदेव को श्राप दिया था कि उनकी चमक कम होती जाएगी. इस श्राप से  मुक्ति के लिए उन्होंने शिवजी की आराधना की थी.शिवजी ने प्रसन्न होकर चंद्रदेव को श्राप से मुक्त किया था. चंद्र देव के एक नाम सोम पर ही मंदिर का नाम सोमनाथ पड़ा था. सोमनाथ मंदिर को 16 बार तोड़ा गया. हर बार इसका पुनर्निर्माण हुआ था.

मल्लिकार्जुन

मल्लिकार्जुन भगवान शिव का दूसरा ज्योतिर्लिंग है. ये आंध्र प्रदेश के कृष्ण जिले में श्रीशैल पर्वत पर बना है. यह ज्योतिर्लिंग कृष्णा नदी के तट पर स्थित है. मान्यताओं के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य मिलता है. यहां पर भगवान शिव और देवी पार्वती ज्योति के रूप में विराजित हैं.

महाकालेश्वर

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर तीसरा ज्योतिर्लिंग है. ये एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है. यहां रोज सुबह भस्मारती होती है, जिसमें ज्योतिर्लिंग का श्रृंगार किया जाता है. महाकालेश्वर के पस हरसिद्धि मंदिर भी है, जो एक शक्तिपीठ भी है.

ओंकारेश्वर

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा किनारे ऊंची पहाड़ी पर स्थित ओंकारेश्वर मंदिर चौथा ज्योतिर्लिंग है. ज्योतिर्लिंग ऊं का आकार लिए है. इस कारण इसका नाम ओंकारेश्वर है. पहाड़ों के चारों ओर नदी बहती है. ऊंचाई से देखने पर ऊं का आकार दिखता है. ॐकारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से हुआ है. राजा मान्धाता ने नर्मदा किनारे इस पर्वत पर घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था. शिवजी के प्रकट होने पर उनसे यहीं निवास करने का वरदान मांग लिया था. मान्यता है कि कोई भी तीर्थयात्री देश के सारे तीर्थ कर ले लेकिन, जब तक वह ओंकारेश्वर आकर किए गए तीर्थों का जल लाकर यहां नहीं चढ़ाता उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं.     

केदारनाथ

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ पांचवां ज्योतिर्लिंग है. ये चार धाम में से एक है. हिमालय की तलहटी में बसा ये मंदिर समुद्र से 3,581 वर्ग मीटर की ऊंचाई में स्थित है. हिमालय में स्थित होने के कारण यहां पर सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है. इस कारण दिवाली के बाद से मई महीने तक इसके कपाट बंद होते हैं. मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में भगवान शिव ने इसी जगह पांडवों को बैल के रूप में दर्शन दिए थे. इस मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने आठवीं और नौवीं सदी में कराया था. 

भीमाशंकर 

महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग छठा ज्योतिर्लिंग है. इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. इस सुंदर मंदिर का शिखर नाना फड़नवीस द्वारा 18वीं सदी में बनाया गया था. महान मराठा शासक शिवाजी ने इस मंदिर की पूजा के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रदान की थी. मान्यताओं के अनुसार राक्षस तानाशाह और कुंभकर्ण के पुत्र भीम का वध करने के बाद देवों ने भगवान शिव से आग्रह किया था कि वह इस स्थान में शिवलिंग रूप में विराजित हो. भगवान शिव ने प्रार्थना को स्वीकार किया और यहां पर ज्योतिर्लिंग के रूप में आज भी विराजित हैं. 

काशी विश्वनाथ

उत्तर प्रदेश के वाराणसी यानी काशी में स्थित काशी विश्वनाथ सातवां ज्योतिर्लिंग है. मान्यताओं के अनुसार यहां पर देवी पार्वती भी उपस्थित है. देवर्षि नारद के साथ यहां पर कई देवी-देवता आते हैं और शिवजी की पूजा करते हैं. मान्यताओं के अनुसार काशी विश्वनाथ के एक बार दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में प्रमुख मंदिरों से भव्य शोभा यात्रा ढोल नगाड़े इत्यादि के साथ बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर तक जाती है.

त्र्यंबकेश्वर 

महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर आठवां ज्योतिर्लिंग हैं. ये बह्रागिरि पर्वत पर स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा एक साथ होती है. गौतम ऋषि ने इसी स्थान में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तप किया था. गौतम ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए थे और ज्योति स्वरूप में विराजमान है.

वैद्यनाथ 

वैद्यनाथ नवां ज्योतिर्लिंग है. मान्यताओं के अनुसार लंकापति रावण ने हिमालय में शिवलिंग बनाकर तप किया था. इस तप से खुश होकर भगवान शिव प्रकट हुए. रावण ने वरदान मांगा था कि वह ये शिवलिंग लंका में स्थापित करना चाहता है. भगवान शिव ने वरदान दिया लेकिन, कहा था रास्ते में शिवलिंग रख देंगे तो वही पर स्थापित हो जाएगा. रावण इस शिवलिंग को लेकर जा रहा था तभी रास्ते में गलती से शिवलिंग को रख दिया. ये शिवलिंग वही पर स्थापित हो गया. देवी देवताओं ने शिवलिंग की पूजा की और भगवान से प्रार्थना की वह ज्योति स्वरूप में यहां विराजित हो जाएं. इसके बाद से ही वह ज्योति स्वरूप में विराजित हैं.

नागेश्वर 

गुजरात के द्वारका में स्थित नागेश्वर 10वां ज्योतिर्लिंग है. शिव पुराण की रुद्र संहिता के अनुसार भगवान शिव का एक नाम नागेशं दारुकावने है. भगवान शिव नागों के देवता हैं. नागेश्वर का अर्थ नागों का ईश्वर है. छत्रपति संभाजी महाराज के शासनकाल में मुगल बादशाह औरंगजेब ने इस मंदिर की इमारतों को नष्ट कर दिया, औरंगजेब की जीत के दौरान इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया था.  मंदिर के वर्तमान खड़े शिखर का पुनर्निर्माण अहिल्याबाई होल्कर द्वारा किया गया था .  

  

रामेश्वरम

11वां ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग की कथा रामायण से जुड़ी है. लंकापति रावण का वध करने के बाद भगवान राम अयोध्या वापस लौट रहे थे. रास्ते में वह दक्षिण भारत में समुद्र किनारे रुके और बालू से शिवलिंग बनाकर पूजा की थी. ये शिवलिंग वज्र की तरह हो गया था. इसी शिवलिंग को ही रामेश्वरम कहा गया. 

घृष्णेश्वर 

महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वादश ज्योतिर्लिंगों में आखिरी है. इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है.  बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के समीप ही है.  मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था.