हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया वो स्थिति है, जब खून में कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है. आज के समय में दस में से आठ लोग हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया की समस्या से घिरे हुए हैं. हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया को लिपिड डिसऑर्डर या हाइपरलिपिडिमिया के रूप में भी जाना जाता है. कोलेस्‍ट्रॉल हमारे हेल्दी सेल्स के निर्माण का काम करता है. लेकिन अगर इसकी मात्रा खून में बढ़ जाए तो उसे हाई कोलेस्‍ट्रॉल कहा जाता है. आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. रमाकांत शर्मा की मानें तो हाई कोलेस्‍ट्रॉल को हार्ट अटैक के बड़े कारणों में से एक माना जाता है. आइए आपको बताते हैं हाई कोलेस्‍ट्रॉल की वजह, लक्षण और अन्‍य जरूरी बातें.

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दो तरह का होता है कोलेस्‍ट्रॉल

लो डेंसिटी लिपो प्रोटीन: डॉक्‍टर रमाकांत शर्मा के मुताबिक लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन को बैड कोलेस्ट्रॉल के रूप में जाना जाता है. इसका बढ़ जाना शरीर के लिए काफी नुकसानदायक होता है. इससे ही हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ता है.  

हाई डेंसिटी लिपो प्रोटीन: इसे शरीर के लिए अच्‍छा माना जाता है और गुड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है. इसकी अधिकता आपके दिल के स्‍वस्‍थ होने का इशारा है. 

क्‍यों बढ़ता है बैड कोलेस्‍ट्रॉल

बैड कोलेस्‍ट्रॉल के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण अनहेल्‍दी फूड को माना जाता है. इसके अलावा वर्कआउट न करना, शराब का अत्‍यधिक सेवन, आनुवांशिकता आदि को इसकी बड़ी वजहों में से एक माना जाता है.

हाई कोलेस्‍ट्रॉल के लक्षण

  • सांस फूलना
  • सिर दर्द
  • मोटापा
  • सीने में दर्द
  • बेचैनी
  • मितली
  • थकान
  • हाई बीपी

 

बचाव के लिए क्‍या करें

  • अपने खानपान की आदतों में सुधार करें. ज्‍यादा चिकनाईयुक्‍त और मसालेदार भोजन से बचाव करें
  • बाहरी जंकफूड-फास्‍टफूड और शुगरी ड्रिंक्‍स लेने से  बचें
  • नियमित रूप से वर्कआउट करें और खाने के बाद नियमित रूप से टहलें.
  • सुबह खाली पेट लहसुन की कली को पानी के साथ लें. इससे बैड कोलेस्‍ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है.