Dementia का रिस्क बढ़ा रही हैं हाई बीपी और डायबिटीज जैसी बीमारियां, रिसर्च में हुआ खुलासा...जानें क्या है डिमेंशिया
हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, डायबिटीज जैसी बीमारियां लाइफस्टाइल डिजीज हैं. इनसे डिमेंशिया का रिस्क भी बढ़ता है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) के शोधकर्ताओं की रिसर्च में ये सामने आया है. अध्ययन में हाइपरटेंशन यानी हाई बीपी डिमेंशिया का सबसे कारण बनकर उभरा है.
हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, डायबिटीज जैसी बीमारियां लाइफस्टाइल डिजीज हैं. इनके मरीज हर घर में मिल जाते हैं. तमाम लोग इन बीमारियों को लेकर लापरवाही बरतते हैं. लेकिन ये बीमारियां डिमेंशिया का रिस्क बढ़ाती हैं. इन बीमारियों के अलावा स्मोकिंग की आदत को भी डिमेंशिया के रिस्क फैक्टर्स में से एक माना गया है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) के शोधकर्ताओं की रिसर्च में ये सामने आया है. अध्ययन में हाइपरटेंशन यानी हाई बीपी डिमेंशिया का सबसे कारण बनकर उभरा है.
क्या है डिमेंशिया
डिमेंशिया एक मानसिक रोग है जिसमें भूलने की समस्या होने लगती है और ये गंभीर रूप ले लेती है. डिमेंशिया से पीड़ित मरीज रोजमर्रा के काम भी भूलने लगता है. साथ ही उसकी निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है. डिमेंशिया के कई प्रकार हो सकते हैं, जैसे -
- वैस्कुलर डिमेंशिया
- अल्जाइमर्स
- फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया
- लेवी डिजीज
डिमेंशिया में ये लक्षण आते सामने
डिमेंशिया की समस्या ज्यादातर सबसे ज्यादा बुजुर्गों में देखने को मिलती है. इसके कुछ लक्षणों में याद्दाश्त कमजोर होना, निर्णय लेने में समस्या, व्यवहार में बदलाव, चीजों को पहचानने में दिक्कत, रोजमर्रा के कामों में परेशानी, कुछ भी बोलने या समझने में परेशानी, आसपास के लोगों या रास्तों को समझने में दिक्कत आदि इसके कुछ कॉमन लक्षण हैं. आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में 5.5 करोड़ से ज्यादा लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं. हर साल 1 करोड़ डिमेंशिया के नए मरीज सामने आते हैं. भारत में करीब 15 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं.
रिसर्च में क्या सामने आया
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यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं की टीम ने 1947 और 2015 के बीच जुटाए गए आंकड़ों और 2020 में प्रकाशित लेटेस्ट शोधपत्र के आधार पर विश्व स्तर पर डिमेंशिया से पीड़ित लोगों से जुड़े 27 रिसर्च पेपर्स का विश्लेषण किया. द लांसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित परिणामों से पता चला कि निम्न शिक्षा और धूम्रपान करने वालों की संख्या में समय के साथ कमी की वजह से डिमेंशिया की दरों में गिरावट आई है. इसके अलावा रिसर्च में पता चला कि समय के साथ बढ़ रहे मोटापे, हाई बीपी और डायबिटीज की समस्या ने डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ाया है. ज्यादातर अध्ययनों में हाइपरटेंशन यानी हाई बीपी डिमेंशिया का सबसे कारण बनकर उभरा है.
इनपुट- IANS से
04:10 PM IST