Sickle Cell Anaemia को Anaemia समझने की न करें भूल, जानें क्या है इनके बीच का फर्क और कितना खतरनाक है ये
Difference between Sickle Cell Anaemia and Anaemia: नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. रमाकान्त शर्मा की मानें तो सिकल सेल एनीमिया भी एनीमिया का ही एक प्रकार है, लेकिन ये सामान्य एनीमिया से ज्यादा खतरनाक होता है.
Sickle Cell Anaemia- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2023-24 को पेश करते समय सिकल सेल एनीमिया डिजीज (Sickle Cell Anaemia Disease) को साल 2047 तक जड़ से खत्म करने की बात कही है. इसके बाद से सिकल सेल एनीमिया की चर्चा शुरू हो गई है. हालांकि तमाम लोग सिकल सेल एनीमिया को सामान्य एनीमिया समझ रहे हैं. नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. रमाकान्त शर्मा की मानें तो सिकल सेल एनीमिया भी एनीमिया का ही एक प्रकार है, लेकिन ये सामान्य एनीमिया से ज्यादा खतरनाक होता है. आइए जानते हैं Sickle Cell Anaemia और Anaemia के बीच का फर्क.
4 तरह का होता है एनीमिया
डॉ. रमाकान्त शर्मा का कहना है कि एनीमिया चार तरह का होता है. पहला- ब्लड लॉस एनीमिया जिसमें शरीर में खून की कमी हो जाती है. दूसरा- विटामिन B12 की कमी से होने वाला एनीमिया जिसमें शरीर में RBC (Red Blood Cells) की कमी हो जाती है. तीसरा- आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया और चौथा होता है सिकल सेल एनीमिया.
सिकल सेल एनीमिया और एनीमिया में फर्क
अगर एनीमिया और सिकल सेल एनीमिया के बीच के फर्क की बात करें तो सामान्य एनीमिया पोषक तत्वों की कमी से होता है, जो किसी को भी हो सकता है. जबकि सिकल सेल एनीमिया आनुवांशिक बीमारी है और एक कम्युनिटी को प्रभावित करती है. भारत में सिकल सेल एनीमिया सबसे ज्यादा आदिवासी बहुल इलाके में पायी जाती है. सिकल सेल एनीमिया में Red Blood Cells का आकार हसिया के आकार का हो जाता है, इस कारण ही इस बीमारी को सिकल सेल एनीमिया कहा जाता है. RBC का आकार बदलने के कारण इनकी शरीर में ऑक्सीजन को कैरी करने की क्षमता कम हो जाती है और शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता.
सिकल सेल एनीमिया के लक्षण
सिकल सेल एनीमिया से शरीर में क्लॉटिंग का रिस्क बढ़ता है. इसके अलावा हाथ-पैर सुन्न होना, हाथ-पैर में ऐंठन और दर्द रहना, सिर में भारीपन, चक्कर और जी घबराना आदि लक्षण सामने आते हैं.
लाइलाज है बीमारी
एनीमिया को ठीक किया जा सकता है लेकिन सिकल सेल एनीमिया बीमारी आनुवांशिक होने के कारण लाइलाज होती है. लेकिन इसे कंट्रोल किया जा सकता है. इसके लिए सबसे पहले आयरन और विटामिन बी12 से भरपूर चीजों और खून की कमी को दूर करने वाली तमाम चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें, ताकि शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं हो पाए. इसके अलावा अपने पेट को जरूर साफ रखें वरना डेफिशिएंसी सिंड्रोम सामने आने लगता है. ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए अपनी डाइट में प्राणायाम को शामिल करें.
इस बात का रखें ध्यान
शादी से पहले जिस तरह आप अपनी कुंडली को मिलवाने का ध्यान रखते हैं, उसी तरह एक बार सिकल सेल एनीमिया का टेस्ट जरूर कराएं. खासतौर पर वो लोग, जिनमें इस बीमारी के होने का रिस्क ज्यादा हो. अगर लड़का और लड़की दोनों ही इस बीमारी से प्रभावित हों, तो बच्चे के सिकल सेल एनीमिया का शिकार होने की आशंका 100% होती है. वहीं अगर कोई एक प्रभावित हो तो ये रिस्क 50% का होता है.
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