इन दिनों चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) चल रही है. नवरात्रि के दिनों में माता के भक्‍त नौ दिनों तक व्रत (Navratri Vrat) रखते हैं. इस बीच वो फलाहार के रूप में कुट्टू के आटे से बनी पूड़ी, परांठे, पकौड़े वगैरह तमाम व्‍यंजन बनाकर खाते हैं. आप भी तमाम व्रतों में कुट्टू के आटे का इस्‍तेमाल करते आ रहे होंगे, लेकिन क्‍या आपने कभी सोचा है कि मक्‍का, बाजरा और गेहूं का आटा व्रत में नहीं खाया जाता, तो कुट्टू का आटा (Kuttu Atta) क्‍यों खाया जाता है? आखिर क्‍या होता है ये कुट्टू और क्‍यों इसे फलाहार माना जाता है? जानें इसके बारे में.

फल माना जाता है कुट्टू

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दरअसल मक्‍का, बाजरा और गेहूं को अनाज माना जाता है, लेकिन कुट्टू अनाज की श्रेणी में नहीं आता. इसे फल माना जाता है. अंग्रेजी में कुट्टू को Buckwheat कहा जाता है. बकव्हीट का लैटिन नाम फैगोपाइरम एस्क्यूलेंटम है. ये पॉलीगोनेसी परिवार का पौधा है. ये पौधा आकार में ज्‍यादा बड़ा नहीं होता. इसमें गुच्‍छों में फूल और फल आते हैं. बकव्हीट पौधे से प्राप्त ये फल तिकोने आकार के होते हैं, जिन्‍हें सुखाकर और पीसकर कुट्टू का आटा (Buckwheat Flour) तैयार किया जाता है.  

भारत में कुट्टू की पैदावार

कुट्टू की पैदावार का मूल स्थान उत्तरी चीन और साइबेरिया को माना गया है. इसके अलावा रूस में भी इसकी  खेती व्यापक पैमाने पर होती है. लेकिन अगर भारत की बात करें तो देश में इसकी पैदावार बहुत ज्‍यादा नहीं है. भारत में इसे हिमालय के पर्वतीय हिस्सों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, दक्षिण के नीलगिरी में और नॉर्थ ईस्ट स्टेट्स में उगाया जाता है. यही कारण है कि इसका आटा भी महंगा बिकता है.

बहुत फायदेमंद है कुट्टू

कुट्टू को सेहत के लिहाज से बहुत फायदेमंद माना जाता है. कुट्टू के आटे में प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, विटामिन-बी, आयरन, फोलेट, कैल्शियम, जिंक, मैग्नीज, कॉपर और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्‍व पाए जाते हैं. व्रत के दिनों में इसे खाने से जल्‍दी भूख का अहसास नहीं होता और शरीर में एनर्जी बनी रहती है. इसके अलावा कुट्टू का आटा ग्‍लूटेनफ्री होता है. जिन लोगों को गेहूं का आटा डाइजेस्‍ट नहीं होता है, उनके लिए कुट्टू का आटा बेहतर विकल्‍प हो सकता है.

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