AI Technique to know about Medical History: तेजी से विकसित हो रही मेडिकल साइंस की दुनिया अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से कई चीजें संभव हो रही है. आने वाले समय में ये भी संभव हो जाएगा कि जब आप अस्पताल में एडमिट हों तो डॉक्टर को पहले से पता हो कि आप पर कोई दवा कितनी तेजी से असर करेगी, उसकी कितनी डोज जरूरी होगी. किसी दवा का आप पर असर होगा भी या नहीं. इससे आपके डॉक्टर को तेजी से आपका इलाज करने में मदद मिलेगी और आपको जल्दी अस्पताल से छुट्टी मिलेगी.  

AI Technique to know about Medical History: क्या होती है जिनोम सीक्वेंसिंग    

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हर इंसान का डीएनए दरअसल अलग-अलग होता है. किसी एक व्यक्ति का डीएनए, दुनिया में किसी दूसरे इंसान से मेल नहीं खा सकता. आसान भाषा में हम इसे माता पिता से मिले नैन-नक्श, आदतें, या बीमारियां भी कह सकते हैं. मां बाप से मिली इस विरासत को मेडिकल भाषा में जेनेटिक मेकअप कहा जाता है. एक ब्लड टेस्ट के सैंपल से आपके डीएनए की संरचना को अलग करके उसे अलग अलग एंगल से वैज्ञानिक तरीके से पढ़ा जाता है. इसे जीनोम सीक्वेंसिंग कहा जाता है. आपके डीएनए को डिकोड करके ये समझा जाता है कि आपमें कैंसर पैदा करने वाले जीन्स तो नहीं हैं कहीं आपके जीन ब्लड को गाढ़ा तो नहीं करते, जिससे आपको खून जमने से जुड़ी परेशानियां हों. 

AI Technique to know about Medical History: ब्लड सैंपल से बनेगी सेहत की कुंडली 

इंफेक्शन वाली बीमारियों जैसे टीबी आदि में एक खास बैक्टीरिया जिम्मेदार होता है – उसकी तलाश करना जीनोम सीक्वेंसिंग में मुश्किल नहीं है. लेकिन लाइफस्टाइल वाली बीमारियां जैसे दिल की बीमारी या डायबिटीज में डीएनए को पढ़कर विश्लेषण करना आसान नहीं होता. अब आईआईटी मुंबई में मौजूद Haystack analytics ने इसकी शुरुआत कर दी है. पार्किंसन्स से लेकर पित्त की पथरी, किडनी स्टोन से लेकर हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर से लेकर हार्ट अटैक तक सभी बीमारियों के लिए केवल एक ब्लड सैंपल से आपकी सेहत की कुंडली बनाने का दावा किया जा रहा है. 

AI Technique to know about Medical History:  मुंबई के कई अस्पताल में इस्तेमाल शुरू

कंपनी के सीईओ अनिर्वान चटर्जी ने इस तकनीक को मुंबई के कई अस्पतालों के साथ जुड़कर मरीजों पर इस्तेमाल करना शुरु कर दिया है. अब गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में भी ये हेल्थ स्टार्टअप अपनी सेवाएं देगा. जीनोम टेस्टिंग की दूसरी कड़ी है फार्मोको जीनोमिक्स – यानी कि आपके शरीर पर किसी दवा का कैसा असर होता है. इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि शराब का असर हर इंसान पर अलग अलग होता है. कई लोग कम पीने से भी लिवर फेल्यर के शिकार हो जाते हैं और कई लोगों को बहुत पीने पर भी असर नहीं होता. 

AI Technique to know about Medical History:  क्या है फार्मोको जीनोमिक्स

आपकी आनुवांशिक संरचना ये भी तय करती है कि बुखार होने पर पैरासिटामोल की दवा आप पर कितनी देर में असर करेगी और किसी दूसरे पर कितनी देर में. इसी तरह डायबिटीज के हर मरीज को मेटफॉरमिन देने से पहले ही अगर डॉक्टर को ये पता हो कि किस मरीज पर मेटफारमिन देने से कोई खास फायदा नहीं होगा .  इस विज्ञान को फार्मोको जीनोमिक्स कहा जाता है. इस तकनीक पर भी काम किया जा रहा है. 

AI Technique to know about Medical History:  सात हजार जीन्स और नौ हजार म्यूटेशन्स

यशोदा अस्पताल के सीईओ डॉ सुनील डागर के मुताबिक इंसान के शरीर में मौजूद 7 हज़ार जीन्स और 9 हजार म्यूटेशन्स को स्टडी करके उसके भविष्य की सेहत का पता लगाया जा सकता है जिससे वो पहले से सजग रहकर कदम उठा सके. आने वाले समय में जैसे जैसे जीनोम टेस्ट के डाटा ज्यादा होते जाएंगे वैसे वैसे ये भी पता चल सकेगा कि किस इलाके के लोगों को कौन सी बीमारियां ज्यादा होती हैं, किसी क्षेत्र के लोगों में कौन सी एंटीबायोटिक कम काम कर रही है या किस व्यक्ति को दवा की कितनी डोज देने से ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सकता है. इस तरह पिन कोड के आधार पर लोगों के जेनेटिक मेकअप का डाटा इकट्ठा हो सकेगा.  शहर और गांव के आधार पर दवाओं के इस्तेमाल का फैसला भी लिया जा सकेगा.

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एम्स भोपाल भी डिप्रेशन का पता लगाने के लिए इसी तकनीक पर काम कर रहा है। किस मरीज के दिमाग में डिप्रेशन वाले जीन्स मौजूद होते हैं,  ये सब भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से पता लगाया जा सकेगा.  हालांकि वो समय आने में फिलहाल सबसे बड़ी अड़चन है पैसा. यशोदा अस्पताल में इस एक जीनोम टेस्ट की कीमत फिलहाल 21 हज़ार रुपए रखी गई है. भारत जैसे देश में कितने लोग प्रिवेंटिव हेल्थ यानी बीमारी होने से पहले रोकथाम पर इतना खर्च करने को तैयार होंगे ये एक बड़ा सवाल है.