Lata Mangeshkar Death Anniversary: स्‍वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की आवाज में वो जादू था कि संगीत की दुनिया में उन्‍हें सुरों की देवी कहा जाता था. लता मंगेशकर ने अपने जीवन में 36 भाषाओं में 50,000 गाने गाए, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्‍होंने पर्दे पर खुद का गाया हुआ गाना न कभी देखा और न ही कभी सुना. उनका मानना था कि अगर वे खुद का गाना सुनेंगीं, तो उसमें जरूर कोई न कोई कमी निकाल देंगीं. संगीत की दुनिया में उन्‍हें प्‍यार और सम्‍मान से लोग लता दीदी कहकर पुकारते हैं. आज लता मंगेशकर की दूसरी पुण्‍यति‍थि है. इस मौके पर आपको बताते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्‍प किस्‍से.

बचपन का नाम था हेमा

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बहुत कम लोग जानते हैं कि लता मंगेशकर का बचपन का नाम हेमा था. एक नाटक से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम हेमा को बदलकर लता कर दिया था. उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर ने अपने नाटक भाव बंधन की फीमेल लीड कैरेक्‍टर लतिका के नाम से प्रभावित होकर अपनी बेटी का नाम लता रख दिया था. इतना ही नहीं, लता जी के नाम के आगे लगे सरनेम मंगेशकर शब्‍द का भी दिलचस्‍प किस्‍सा है. दरअसल लता दीदी के पिता का असली नाम दीनानाथ अभिषेकी था, लेकिन वो चाहते थे कि उनके बच्‍चों के नाम के आगे अभिषेकी की जगह कुछ और सरनेम लगाया जाए.  दीनानाथ जी के पुरखों का नाम मंगेशी था और कुलदेवता का नाम मंगेश. ऐसे में उन्‍होंने अपना सरनेम बदलकर मंगेशकर कर दिया. इसके बाद उनके बच्‍चों के नाम के आगे भी सरनेम मंगेशकर लगाया गया.

क्‍यों पहनती थीं सफेद साड़ी 

लता मंगेशकर की आवाज के साथ-साथ उनका पहनावा भी उनकी पहचान बन गया था. लता मंगेशकर को ज्‍यादातर समय में सफेद साड़ी में देखा गया. एक बार एक इंटरव्‍यू में उनसे ये सवाल किया गया कि वो ज्‍यादातर सफेद साड़ी ही क्‍यों पहनती हैं. इस पर लता जी ने कहा कि उन्‍हें बचपन से ही सफेद रंग काफी पसंद है. उन्‍होंने एक किस्‍सा बताते हुए कहा कि एक बार तेज बारिश हो रही थी और उन्‍हें रिकॉर्डिंग के लिए जाना था. उन्‍होंने पीले या ऑरेंज रंग की शिफॉन क्रेप साड़ी पहन ली और वो स्‍टूडियो पहुंच गईं. स्‍टूडियो पहुंचने के बाद एक आर्टिस्‍ट ने उनसे पूछा कि ये आप क्‍या पहनकर आ गई हैं. इसके बाद उन्‍हें अहसास हुआ कि उनके व्‍यक्त्वि पर सफेद साड़ी ही जंचती है और लोग भी उन्‍हें उसी में देखना पसंद करते हैं.

आवाज सुनकर जवाहर लाल नेहरू भी रो पड़े थे

जब 1962 में चीन के हमले के बाद पूरे देश में हताशा का भाव फैला हुआ था. 26 जनवरी 1963 में लता जी से कहा गया कि वो अपनी आवाज में 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत गाएं. जब उन्‍होंने ये गीत गाया, तो उनकी आवाज में इतना दर्द था कि गाना सुनकर पंडित जवाहर लाल नेहरू भी रो पड़े थे. जब गाना खत्म हुआ तो महबूब खान लता दीदी के पास गए और कहा- लता, पंडित जी तुम्हें बुला रहे हैं. तब नेहरू जी ने उनसे कहा कि बेटी आज तो तुमने मुझे रुला दिया.

मिले थे कई अवॉर्ड

लता मंगेशकर ने अपने करियर में 50 हजार से ज्‍यादा गाने गाएं. ऐसा कोई सम्‍मान नहीं है, जो उन्‍हें न मिला हो. उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा उन्होंने 3 नेशनल अवाॅर्ड और 4 फिल्‍मफेयर अवॉर्ड भी जीते.