Lata Mangeshkar Birth Anniversary: लता जी की जिस आवाज की दुनिया है दीवानी, उसे भी कभी रिजेक्ट किया गया था, जानें अनकहे किस्से
लता दीदी की जिस आवाज की ये दुनिया कायल थी, उस हुनर के बारे में लंबे समय तक उनके पिता को ही नहीं पता था. आज लता जी के जन्म दिन पर जाने उनके जीवन से जुड़े अनकहे किस्से.
अपनी सुरीली आवाज से हिन्दी सिनेमा के तमाम गीतों को अमर बना देने वाली स्वर कोकिला लता मंगेशकर बेशक आज हमारे बीच सशरीर मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनके गीतों के सहारे लता जी के प्रशंसक उन्हें हर पल अपने नजदीक महसूस करते हैं. उनकी आवाज में एक ऐसा जादू था, जो सदियों में से किसी एक को प्राप्त होती है. लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि लता दीदी की जिस आवाज की ये दुनिया कायल थी, उस हुनर के बारे में लंबे समय तक उनके पिता को ही नहीं पता था. जब उनके पिता को इस बारे में पता चला तो भी लता जी अपने पिता के सामने गाना नहीं गा पाती थीं. वहीं जिस आवाज का जादू लोगों के सिर पर चढ़कर बोलता है, उसे कभी रिजेक्ट कर दिया गया था. आज 28 सितंबर को लता की बर्थ एनीवर्सरी पर हम आपको बताएंगे उनके जीवन के अनकहे किस्से
पिता से शर्म का जिक्र खुद लता जी ने किया था
लता जी जब 13 साल की थीं, तभी उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर का निधन हो गया था और लता जी पर पारिवारिक जिम्मेदारियां आ गईं थीं. एक बार एक इंटरव्यू में लता जी ने कहा था कि अगर मेरे पिता जिंदा होते तो आज में सिंगर न होती. उन्होंने बताया था कि उनके पिता को लंबे समय तक ये नहीं मालूम था कि लता जी के पास इतनी सुरीली आवाज है. जब उन्हें इस बात का पता चला, तो वो उनकी प्रतिभा को निखारना चाहते थे और बेटी लता से गीत सुनाने के लिए कहा करते थे, लेकिन लता जी को पिता से बहुत शर्म लगती थी और वे रसोई में अपनी मां के पास भाग जाया करती थीं. लेकिन पिता उनकी आवाज से ये भांप गए थे कि उनकी बेटी एक समय बाद बहुत बड़ी सिंगर बनेगी.
जब लता हुईं थी रिजेक्ट
लता मंगेशकर की जिस आवाज का जादू आज भी लोगों के बना हुआ है, उस आवाज को फिल्ममेकर शशधर मलिक ने रिजेक्ट कर दिया था. बताया जाता है लता जी की प्रतिभा को प्रसिद्ध संगीतकार मास्टर गुलाम हैदर ने सबसे पहले पहचाना था. मास्टर गुलाम हैदर उन्हें लेकर फिल्ममेकर शशधर मलिक के पास पहुंचे. शशधर मलिक उस समय ‘शहीद’ नाम की फिल्म बना रहे थे. फिल्म में हैदर संगीत दे रहे थे. जब लता जी ने शशधर मलिक को अपना गीत सुनाया तो उन्होंने लता जी की आवाज को बहुत पतला बताकर रिजेक्ट कर दिया था.
इस गाने के बाद बदल गई किस्मत
लता जी के रिजेक्शन की बात मास्टर गुलाम हैदर को पसंद नहीं आयी और उन्होंने लता को स्टार बनाने की ठान ली. साल 1948 में लता को फिल्म ‘मजबूर’ में मास्टर गुलाम हैदर में एक गाना गवाया, गाने के बोल थे ‘दिल मेरा तोड़ा’. ये गाना काफी हिट हुआ और इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
पहले गीत से हुई थी 25 रुपए की कमाई
लता मंगेशकर ने सिर्फ 13 साल की उम्र में फिल्म 'पहिली मंगलागौर' से डेब्यू किया था और उनकी पहली कमाई 25 रुपए थी. 18 साल की उम्र में मास्टर गुलाम हैदर ने फिल्म 'मजबूर' के गीत से लता जी को पहचान मिली. इस फिल्म में लता जी को मुकेश के साथ गाना गाने का भी मौका मिला था. फिल्म के बोल थे 'अंग्रेजी छोरा चला गया'. इसके बाद लता जी ने इंडस्ट्री के लिए हजारों गीत गाए और गायिकी के लिए कई विश्व रिकॉर्ड बनाए.
कुकिंग की शौकीन थीं लता
लता जी की सिंगिंग के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन कम लोग जानते हैं कि वे कुकिंग की भी शौकीन थीं. कहा जाता है कि लता जी चिकन और हलवा बहुत अच्छा बनाती थीं. जिसने भी उनके हाथ का चिकन खा लिया, वो उस स्वाद को कभी भुला नहीं पाया. इसके अलावा लता जी खाने पीने की बहुत शौकीन थीं. सी फूड खासकर गोवा की फिश और समुद्री झींगे उन्हें बहुत पसंद थे. इसके अलावा केसर जलेबी भी उन्हें बेहद प्रिय थी.