Janmashtami 2022: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस साल कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन पड़ रही है. कुछ लोग 18 अगस्‍त को तो कुछ लोग 19 अगस्त को जन्‍माष्‍टमी मना रहे हैं. जन्माष्टमी के दूसरे दिन दही हांडी का उत्‍सव होता है. दही-हांडी (Dahi Handi 2022) भारत के महाराष्ट्र और गुजरात में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. यह कृष्ण जन्माष्टमी का एक हिस्सा है. आइए जानते हैं आखिर दही हांडी उत्सव क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है... 

क्‍या है दही हांडी?

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दही-हांडी एक भारतीय उत्‍सव है. यह साल के अगस्त-सितंबर महीने में मनाया जाता है. इसमें कुछ लोग ज्यादातर युवक इकट्ठे होकर एक मानव पिरामिड बनाते हैं. इसके बाद ऊपर एक दही से भरी हांडी लटकी होती है, उसे फोड़ते हैं. इसमें भागीदारों को गोविंंदा कहा जाता है. दही हांडी को अलग-अलग युवाओं के दल तोड़ने का प्रयास करते हैं. हांड़ी को तोड़ने के लिए 3 मौके दिये जाते हैं. दही हांडी तोड़ने के लिए नारियल का इस्‍तेमाल किया जाता है. यह एक खेल के रूप में होता है, जिसमें विजयी टीम को इनाम भी दिया जाता है. 

क्‍यों मनाया जाता है दही हांडी?

धार्मिक मान्‍यताओं के मुताबिक, कृष्‍ण जन्म के उपलक्ष्य पर दही हांडी का पर्व बहुत धूम धाम से मनाया जाता है. कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण बचपन में दही, दूध, मक्खन बहुत शौक से खाते थे. कृष्ण से बचाने के लिए उनकी माता यशोदा अक्सर दही हांडी को किसी ऊंचे स्थान पर रखती थीं, लेकिन बाल गोपाल वहां तक भी पहुंचने में सफल हो जाते थे. इसके लिये उनके सखा उनकी मदद करते थे. कृष्‍ण की इसी बाल लीला की याद में सभी कृष्ण भक्त दही हांडी का पर्व मनाते हैं.