Kisan Andolan: MSP की कानूनी गारंटी के साथ किसान कर रहे हैं Loan Waiver की डिमांड, ये होता क्या है?
किसानों के आंदोलन में सरकार के सामने 12 मांगें रखी गई हैं. इन मांगों में सबसे ज्यादा चर्चा न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price-MSP) की गारंटी और ऋण माफी (Loan Waiver) की है. आइए आपको बताते हैं कि ये होता क्या है.
Farmer’s Protest: पंजाब के किसानों के दिल्ली कूच का शनिवार को पांचवां दिन है. इस आंदोलन के जरिए किसानों ने सरकार के सामने 12 मांगें रखी हैं. इन मांगों में सबसे ज्यादा चर्चा न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price-MSP) की गारंटी और ऋण माफी (Loan Waiver) की है. किसान संगठनों का दावा है कि सरकार ने उनसे एमएसपी की गारंटी पर कानून लाने का वादा किया था, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका. आइए आपको बताते हैं कि क्या होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य और ऋण माफी.
MSP क्या होता है
एमएसपी फसल की एक गारंटीड कीमत होती है, जो किसानों को मिलती है. इसमें फसल की बुआई के दौरान ही फसलों की न्यूनतम कीमत तय कर दी जाती है. अगर कभी फसलों की कीमत बाज़ार के हिसाब से गिर भी जाती है, तब भी केंद्र सरकार इस एमएसपी पर ही किसानों से फसल खरीदती है ताकि किसानों को नुक़सान से बचाया जा सके.
किन फसलों पर तय होती है MSP
केंद्र सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर हर साल खरीफ और रबी सीजन से पहले 24 फसलों के लिए एमएसपी अधिसूचित करती है. इन फसलों में अनाज, मोटे अनाज और दालें जैसे खाद्यान्न शामिल हैं. इसमें से 14 खरीफ फसलों जैसे धान, ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, सूरजमुखी के बीज, सोयाबीन, तिल, नाइजरसीड (रामतिल) और कपास के लिए होती है और 10 रबी फसलों के लिए एमएसपी दी जाती है. ये फसलें हैं गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों, कुसुम, टोरिया और अन्य फसलें, कोपरा, भूसी रहित नारियल और जूट.
कौन तय करता है MSP
किसानों की फसलों को उचित कीमत दिए जाने के मकसद से सरकार की ओर से कृषि लागत और मूल्य आयोग यानी CACP का गठन किया गया है. CACP के द्वारा की जाने वाली सिफारिशों के आधार पर ही सरकार हर साल फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है. पहली बार 1966-67 में एमएसपी दर लागू की गई थी.
क्या होती है ऋण माफी
ऋण माफी को अंग्रेजी में Loan Waiver कहा जाता है. ऋण माफी तब की जाती है, जब कर्ज लेने वाला किसी भी हाल में लोन की राशि चुकाने में असमर्थ हो. ऐसे में उसका लोन पूरी तरह से माफ कर दिया जाता है. साल 2008 में कांग्रेस सरकार ने देशभर के किसानों के 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज माफ कर दिए थे. इसके अलावा अक्सर चुनाव प्रचार के दौरान तमाम पार्टियां भी ऋण माफी करने के लुभावने वादे करती नजर आती हैं.