कर्नाटक चुनाव 2023 के नतीजे आने में थोड़ा ही समय बाकी रह गया है. इस विधानसभा चुनाव को साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. लिहाजा चुनाव को जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही अपनी ताकत झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. शनिवार 13 मई को चुनाव के नतीजे सामने आ जाएंगे और ये स्‍पष्‍ट हो जाएगा कि सूबे में किसकी सरकार बनने जा रही है. लेकिन नतीजों के बाद एक बड़ा सवाल सबके जेहन में होगा और वो है- कौन बनेगा मुख्‍यमंत्री? आइए आपको बताते हैं कि CM की फेहरिस्‍त में आखिर किस-किस का नाम है.

सिद्धारमैया

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एग्जिट पोल के नतीजों के हिसाब से कांग्रेस को इस चुनाव में बढ़त मिल सकती है. ऐसे में पहले बात कांग्रेस की करते हैं. कांग्रेस की ओर से सिद्धारमैया पसंद हो सकते हैं. इसका कारण है कि सिद्धारमैया 2024 में होने  लोकसभा चुनावों में कर्नाटक में कांग्रेस की संभावनाओं को बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं. सिद्धारमैया मैसूरु जिले के सिद्धारमनहुंडी से ताल्लुक रखते हैं और एक बार 2013 से 2018 तक कर्नाटक के सीएम भी रह चुके हैं. लेकिन उनका नकारात्‍मक पक्ष ये है कि लिंगायत समुदाय के लोग सिद्धारमैया के प्रति दुर्भावना रखते हैं. इसके अलावा पीएफआई और एसडीपीआई के कई कार्यकर्ताओं को रिहा करने के फैसले से वो हिंदुओं के बीच नाराजगी बढ़ा चुके हैं.

डीके शिवकुमार

डीके शिवकुमार को भी कांग्रेस के सीएम पद के दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है. डीके शिवकुमार पार्टी के वफादार लोगों में से हैं. डीके शिवकुमार को बड़े से बड़ा जोखिम उठाने और पुरानी धारणाओं को बदलने में माहिर माना जाता है. 2004 के लोकसभा चुनाव में शिव कुमार ने कनकपुरा लोकसभा सीट से अनुभवहीन तेजस्विनी को देवगौड़ा के खिलाफ खड़ा कराया और देवगौड़ा को मात दी. इसके अलावा वो गुजरात के राज्‍यसभा चुनाव में भी सीधे-सीधे नरेंद्र मोदी और अमित शाह से पंगा ले चुके हैं. इसके अलावा डीके शिवकुमार की गिनती अमीर राजनेताओं में होती है. आने वाले लोकसभा चुनावों में डीके शिवकुमार पार्टी के लिए धन जुटाने में मददगार हो सकते हैं. लेकिन डीके शिवकुमार का नकारात्‍मक पक्ष ये है कि उनके खिलाफ कई मामले लंबित हैं. वे 104 दिन जेल में भी रहकर आए हैं और अभी जमानत पर बाहर हैं.

बसवराज बोम्‍मई

बसवराज बोम्‍मई मौजूदा समय में कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री हैं. साथ ही लिंगायत समुदाय से ताल्‍लुक रखते हैं. कर्नाटक में सबसे ज्‍यादा लिंगायत जाति के ही लोग हैं. बोम्‍मई बीजेपी को जॉइन करने से पहले जेडीएस का हिस्‍सा थे, इसलिए बीजेपी के लिए वो एक बाहरी व्‍यक्ति की तरह हैं. हालांकि पिछले 22 महीने में उन्‍होंने खुद को मेहनती साबित किया है. लेकिन मुख्‍यमंत्री के तौर पर वे खुद के कद को नहीं बढ़ा सके. बोम्‍मई के शासनकाल में राज्य के अंदर शांति व्यवस्था गड़बड़ा चुकी है. ऐसे में इस बार फिर से बीजेपी उनको मुख्‍यमंत्री के तौर पर चुनती है या नहीं, इस पर असमंजस की स्थिति है.

प्रह्लाद जोशी

प्रह्लाद जोशी का नाम पहले भी मुख्‍यमंत्री के तौर पर सामने आ चुका है. जब येदियुरप्पा को दरकिनार किया गया था, उस समय माना जा रहा था कि प्रहलाद जोशी को मुख्‍यमंत्री पद की कमान सौंपी जा सकती है. येदियुरप्‍पा लिंगायत समुदाय के हैं. लिंगायत की जगह पर लिंगायत समुदाय के व्‍यक्ति को लाने की मांग के चलते बसवराज बोम्‍मई को सीएम पद के लिए चुन लिया गया था. प्रह्लाद जोश हुबली-धारवाड़ क्षेत्र से 4 बार सांसद रह चुके हैं. 2019 में उन्हें मोदी कैबिनेट में मंत्री बनाया गया था. इसके बाद इनका कद बढ़ा है. 

एचडी कुमारस्वामी

अगर इस बार के चुनाव चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही स्‍पष्‍ट बहुमत नहीं मिलता है, तो जेडीएस फिर से किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है और एचडी कुमारस्वामी एक बार फिर से मुख्‍यमंत्री बन सकते हैं. कुमार स्‍वामी पहले भी दो बार राज्‍य के मुख्‍यमंत्री रह चुके हैं.