Karnataka Election 2023: कर्नाटक में 'ट्रंप कार्ड' की तरह हैं ये दो जातियां, एक से सूबे को मिले 8 सीएम तो दूसरे से 7
Karnataka Assembly Election 2023: कर्नाटक में भी ऐसी दो जातियां हैं जिन्हें 'ट्रंप कार्ड' माना जाता है. ये जातियां हैं लिंगायत और वोक्कालिगा. ये जातियां पूरी बाजी को पलट सकती हैं. सभी राजनीतिक दल इन्हें 'किंगमेकर' की तरह देखते हैं.
Karnataka Election 2023 Analysis: जातिगत राजनीति की बात जब भी आती है तो लोग उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे तमाम राज्यों की बात करते हैं, लेकिन दक्षिण भारत भी इससे अछूता नहीं है. कर्नाटक में भी ऐसी दो जातियां हैं जिन्हें 'ट्रंप कार्ड' माना जाता है. ये जातियां हैं लिंगायत और वोक्कालिगा. ये जातियां पूरी बाजी को पलट सकती हैं. सभी राजनीतिक दल इन्हें 'किंगमेकर' की तरह देखते हैं. यही वजह है कि मौजूदा चुनाव में भी बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस समेत तमाम पार्टियों ने इन जातियों को लुभाने की पूरी कोशिश की है.
लिंगायत और वोक्कालिगा जाति की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कर्नाटक के कुल 23 मुख्यमंत्रियों में से लिंगायत जाति से सूबे को 8 मुख्यमंत्री मिले हैं तो वोक्कालिगा जाति से 7. शनिवार 13 मई को कर्नाटक चुनाव के परिणाम आने वाले हैं. ऐसे में आइए आपको बताते हैं कर्नाटक में इन जातियों की ताकत के बारे में.
लिंगायत
पहले बात करते हैं लिंगायत समुदाय की, कर्नाटक में सबसे बड़ा समुदाय इसी जाति का है. इस समुदाय को अगड़ी जाति में गिना जाता है. राज्य के गठन के समय से ही यहां इस जाति का दबदबा रहा है. 1956 से लेकर अब तक इस राज्य को लिंगायत जाति से 8 सीएम मिल चुके हैं. खुद मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी इसी समाज से आते हैं. इसके अलावा बी एस येरियुरप्पा भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. यही कारण है कि लिंगायत समुदाय के वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस, तीनों पार्टियों ने पूरा जोर लगाया है.
हालांकि लिंगायत समुदाय लंबे समय तक कांग्रेस का वोटर रहा है, लेकिन 1990 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने लिंगायत मुख्यमंत्री वीरेंद्र पाटिल को बर्खास्त किया तो वो बीजेपी का वोटबैंक बन गया. इस बार के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने लिंगायत समुदाय पर बड़ा दांव खेला है. बीजेपी ने इस समुदाय से 68 उम्मीदवारों को उतारा है, वहीं कांग्रेस ने 51 टिकट लिंगायतों को टिकट दिया है.
वोक्कालिगा
अब बात करते हैं वोक्कालिगा की, तो ये कर्नाटक का दूसरा सबसे बड़ा समुदाय माना जाता है. 1973 में मैसूर जब कर्नाटक बना, तब से अब तक वोक्कालिगा समुदाय से इस राज्य को 7 मुख्यमंत्री मिल चुके हैं. कर्नाटक के पूर्व CM कुमारस्वामी भी इसी समुदाय से आते हैं. वहीं एचडी देवगौड़ा इस समुदाय से ताल्लुक रखने वाले वो व्यक्ति हैं, जो देश के प्रधानमंत्री बने. इस जाति को जेडीएस का वोट बैंक माना जाता है. रामनगर, मांड्या, मैसूरु, चामराजनगर, कोडागु, कोलार, तुमकुरु और हासन में इस जाति के अच्छे खासे वोटर्स हैं.
जेडीएस ने इस बार भी वोक्कालिगा समाज पर भरोसा जताया है और 54 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. दूसरे नंबर पर लिंगायत को टिकट दिया है. वहीं बीजेपी और कांग्रेस ने भी वोक्कालिगा जाति पर दांव खेला है. बीजेपी ने 42 कैंडिडेट्स को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने 43 वोक्कालिगा उम्मीदवारों को टिकट दिया है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि इस बार किस पार्टी को लिंगायतों और वोक्कालिगा का साथ मिलता है.