Chandrayaan-3: आज धरती की कक्षा से निकलकर चंद्रयान-3 चंद्रमा की ओर बढ़ेगा. 23 अगस्त को चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह पर लैंड कराने की कोशिश की जाएगी. भारत का तीसरा मून मिशन, चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) अब चांद की कक्षा में पहुंचने से महज 6 दिन दूर है. इसरो के मुताबिक, ट्रांस-लूनर इंजेक्शन की प्रक्रिया पूरा होने में 28 से 31 मिनट के बीच का समय लगेगा. इस प्रक्रिया को मध्यरात्रि में किया जाएगा.ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए चंद्रयान की स्पीड पृथ्वी की एस्केप वेलोसिटी से ज्यादा होनी चाहिए. पृथ्वी की एस्केप वेलोसिटी 40,270 kmph है.

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 14 जुलाई को शुरू हुआ था चांद का सफर  

चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने 14 जुलाई को चांद के सफर पर निकल चुका है. तब से लगातार सोशल मीडिया पर चंद्रयान को लेकर ट्रेंड बना हुआ है. लोगों में ये जानने की उत्‍सुकता है कि भारत का ये स्‍पेसक्राफ्ट कहां तक पहुंचा. इसको लेकर इसरो भी समय-समय पर अपडेट दे रहा है. हाल ही इसरो (ISRO) ने Chandrayaan-3 को लेकर बड़ा अपडेट दिया है और बताया है‍ कि चंद्रयान मिशन (Chandrayaan Mission) फिलहाल शेड्यूल के हिसाब से है. इसरो की तरफ से आज 18 जुलाई को चंद्रयान का तीसरा ऑर्बिट मैन्यूवर किया गया है. चंद्रयान-3 की तीसरी कक्षा को सफलतापूर्वक बदल दिया गया है. कक्षा बढ़ाने के लिए अगली फायरिंग 20 जुलाई को दोपहर 2 बजे से 3 बजे के बीच की जाएगी. 

बता दें चंद्रयान अभी धरती के अंडाकार कक्षा के चक्‍कर लगा रहा है. फिलहाल चंद्रयान धरती तीसरी कक्षा की ओर सफलतापूर्वक बढ़ गया है.अगर सबकुछ इसी तरह से चलता रहा तो चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि को पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की ओर बढ़ेगा. 5 अगस्‍त को चंद्रमा की ग्रैविटी स्पेसक्राफ्ट को कैप्चर करेगी और ये 23 अगस्त की शाम करीब 5 बजकर 47 मिनट चंद्रमा पर लैंड करेगा.

क्या है Chandrayaan-3 का मकसद

चंद्रयान 3 के जरिए भारत चांद की स्‍टडी करना चाहता है. वो चांद से जुड़े तमाम रहस्‍यों से पर्दा हटाएगा. चंद्रयान 3 चांद की सतह की तस्वीरें भेजेगा, वहां के वातावरण, खनिज, मिट्टी वगैरह जुड़ी तमाम जानकारियों को जुटाएगा. बता दें 2008 में जब इसरो ने भारत का पहला चंद्र मिशन चंद्रयान-1 सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, तब इसने चंद्रमा की परिक्रमा की और चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की खोज की थी.