ISRO Aditya L1 Mission: भारत का पहला सूर्य मिशन अब अपने लक्ष्य तक पहुंचने के अंतिम पड़ाव में है. इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बड़ी जानकारी दी. बताया जा रहा है कि आदित्य एल-1 छह जनवरी को सूर्य के एल-1 पॉइंट में शाम 4 बजे प्रवेश कर जाएगा. भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो इसे कमांड देकर L1 पॉइंट की हेलो ऑर्बिट पर पहुंचा देगी. 2 सितंबर को शुरू हुई आदित्य एल1 की यात्रा 126 दिन बाद 37 लाख किलोमीटर का सफर पूरा करके हैलो ऑर्बिट में पहुंचने वाली है.

इस समय पर पहुंचेगा

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इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने बताया कि भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 ठीक से काम कर रहा है और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है. छह जनवरी की शाम चार बजे वह लैग्रेंज-1 बिंदु पर हैलो ऑर्बिट कक्षा में पहुंच जाएगा. बता दें कि एल-1 पॉइंट वह स्थान है, जहां पृथ्वी और सूर्य दोनों ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के बीच संतुलन रहता है. यह बिंदु पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर है, जो सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी का मात्र एक फीसदी है.

L1 पर ही क्यों जा रहा है आदित्य?

L1 का मतलब 'लाग्रेंज बिंदु 1' है. कोई लाग्रेंज बिंदु अंतरिक्ष में वो स्थान हैं, जहां दो बड़े पिंडों (सूर्य-पृथ्वी) का गुरुत्वाकर्षण आपस में बैलेंस हो जाता है. एक प्रकार से लाग्रेंज बिंदु किसी अंतरिक्ष यान के लिए पार्किंग स्थल का काम करते हैं. यहां किसी यान को वर्षों तक रखकर तमाम परीक्षण किए जा सकते हैं और कई जानकारियां जुटाई जा सकती हैं. चूंकि सूर्य का दूसरा नाम आदित्‍य है, इसका लक्ष्‍य L1 तक पहुंचना है, इसलिए इस मिशन को आदित्‍य एल-1 का नाम दिया गया है. आदित्‍य-एल 1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली स्पेस बेस्ड इंडियन लेबोरेट्री होगी. आदित्य-एल1 मिशन, जिसका उद्देश्य L1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है.   

आदित्य एल-1 सात वैज्ञानिक पेलोड से लैस है. सभी इसरो और राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं. ये पेलोड विशेष रूप से विद्युत चुंबकीय कण और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग करके फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों का निरीक्षण करने के लिए डिजाइन किए गए हैं. 

क्‍या है आदित्‍य L1 का मकसद

- सूर्य के आसपास के वायुमंडल का अध्ययन करना.

- क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग की स्टडी करना, फ्लेयर्स पर रिसर्च करना.

- सौर कोरोना की भौतिकी और इसका तापमान को मापना.

- कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान करना, इसमें तापमान, वेग और घनत्व की जानकारी निकालना.

- सूर्य के आसपास हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता को जांचना.