महिलाएं समाज की आधी आबादी हैं और समाज के निर्माण में सशक्‍त भूमिका निभाती हैं, फिर भी उन्‍हें वो दर्जा नहीं मिल पाता जिसकी वो हकदार हैं. महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को दूर करके समाज में उन्‍हें बराबरी का हक दिलाने के उद्देश्‍य से हर साल 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है. इसके अलावा महिला दिवस का मकसद महिलाओं को उनके हक के प्रति जागरुक करना भी है. अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस 2023 (International Women's Day 2023) आने में कुछ ही समय बाकी बचा है, इस मौके पर यहां जानिए महिलाओं के वो 5 अधिकार (5 Rights for Indian Women) जो उन्‍हें दिए गए हैं, लेकिन इसके बारे में उन्‍हें खुद जानकारी नहीं है.

समान वेतन पाने के अधिकार

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

एक समय था जब भारत में महिलाओं की भूमिका सिर्फ घर के अंदर तक सीमित थी, लेकिन आज के समय में महिलाएं कामकाजी हैं और हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार महिलाओं को पुरुषों के समान ही वेतन पाने का अधिकार दिया गया है. वेतन या मजदूरी के आधार पर महिलाओं के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता.

पुश्‍तैनी संपत्ति पर अधिकार

पहले केवल बेटों को हीपुश्तैनी संपत्ति पर प्रॉपर्टी में अधिकार मिलता था. ऐसा माना जाता था कि शादी के बाद महिला अपने पति की संपत्ति से जुड़ जाती है और उस संपत्ति में उसका अधिकार हो जाता है. लेकिन अब ऐसा नहीं है. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर अब पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों को बराबर हक दिया जाता है.

मातृत्‍व संबन्‍धी अधिकार

आज के समय में ज्‍यादातर महिलाएं कामकाजी हैं, ऐसे में कामकाजी महिलाओं को मातृत्‍व संबन्‍धी कुछ अधिकार दिए गए हैं.मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई मां के प्रसव के बाद 6 महीने तक महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और वो फिर से काम शुरू कर सकती हैं. 

अर्जित संपत्ति का अधिकार

महिला ने अगर खुद कोई संपत्ति अर्जित की है तो कानूनन उसे ये अधिकार है कि वो जब चाहे अपनी संपत्ति को बेच सकती है या अगर किसी के नाम करना चाहे तो कर सकती है. उसके फैसलों में दखल देने का अधिकार किसी को भी नहीं है. महिला चाहे तो उस संपत्ति से बच्‍चों को बेदखल भी कर सकती है.

घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार

घर में रह रही कोई भी महिला जैसे मां या बहन आदि को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए ये कानून बनाया गया है. अगर किसी महिला के साथ उसका पति, लिव इन पार्टनर या कोई रिश्‍तेदार घरेलू हिंसा करता है तो महिला या उसकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है. इसके अलावा कामकाजी महिलाओं को वर्कप्‍लेस पर हुए यौन उत्‍पीड़न को लेकर शिकायत दर्ज कराने का हक है. दुष्कर्म की शिकार हुई किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार दिया गया है.

 

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें