International Tea Day 2023: गलती से हुई थी चाय की खोज, जानें लाल, हरी, नीली, पीली, और गुलाबी चाय का अंतर
International Tea Day 2023: चाय दुनियाभर में कई जगह काफी लोकप्रिय है. इसे कई लोग बड़े शौक से पीते हैं. इस खास मौके पर आज जानते हैं चाय के दिलचस्प इतिहास के बारे में...
International Tea Day 2023: हर साल 21 मई को इंटरनेशनल टी डे मनाया जाता है. हम में से ज्यादातर लोगों के दिन की शुरुआत चाय से होती है. लेकिन बहुत से लोगों को यह मालूम नहीं होगा कि चाय की शुरुआत गलती से हुई थी. चाय लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है. चाय के दिवाने को अगर एक वक्त का चाय न मिले तो उनका किसी काम में दिल नहीं लगता. गर्मी हो या सर्दी चाय के शौकीन हर मौसम में इसे पीना पसंद करते हैं. चाय को लेकर यह भी कहा जाता है कि 2732 BC में चीन के शासक शेंग नुंग ने गलती से चाय की खोज की थी. तो चलिए जानते हैं कि चाय का इतिहास क्या है और भारत में कब से चाय पीते हैं लोग..
भारत में ऐसे हुई चाय की शुरुआत चाय के पीछे की कहानी है कि साल 1834 में गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक भारत आए थे. उस वक्त असम के कुछ लोग चाय की पत्तियों को गर्म पानी में उबालकर दवा की तरह पी रहे थे. उन्होंने यह देखा तो काफी उत्सुक हुए. इसके बाद उन्होंने आम लोगों को इसकी जानकारी दी और इस तरह भारत में चाय की शुरुआत हुई. चाय को लेकर ये कहानी थी है फेमस चाय को लेकर ये भी कहा जाता है कि इसका इतिहास 5000 साल पुराना है. इसकी खोज चीन में हुई थी. इसको लेकर यह भी कहा जाता है कि 2732 बीसी में चीन के शासक शेंग नुंग ने गलती से चाय की खोज की थी. दरअसल, एक बार राजा को पीने के पानी गर्म किया जा रहा था लेकिन गलती से उसमें कहीं से कुछ पत्तियां गिर गई. पानी में पत्ते गिरने से अचानक पानी का रंग बदल गया और उसमें से अच्छी खुशबू आने लगी. इसको देखकर राजा को लगा कि इसे पिया जाए. राजा ने उस पानी को पिया तो काफी पसंद आया. राजा को यह पानी पीने के बाद काफी ताजगी और एनर्जी महसूस हुआ. तब से इस रंगीन पानी को राजा पीने लगे. इस रंगीन पानी को राजा ने चाय नाम दिया था. चाय कई रंगों की होती है. कड़क चाय, अदरक, इलायची और लौंग वाली चाय, मसाले वाली,गुलाब वाली और भी बहुत तरह के चाय फेमस हैं. हर रंग के चाय की अपनी खासियत है. तो चलिए जानते हैं क्या है इसका इतिहास... ब्लैक टी: आजकल आपको ब्लैक टी पीने वाले लोग भी बहुत दिख जाएंगे. इस चाय में दूध नहीं डाला जाता है. इसी खेती कई देशों में होती है. ये चाय की पत्तियों को सुखाकर तैयार की जाती है. इसकी खेती भारत, चीन, तिब्बत, मंगोलिया में होती है. ग्रीन टी: जो लोग खुद को फीट रखना चाहते हैं वो ग्रीन टी जरुर पीते हैं. इसमें डायबिटीज, कैंसर, और मानसिक बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है. वजन कम करने की चाह रखने वाले लोग इसको रोज पीते हैं. इसकी खेती भारत और चीन में होती है. ब्लू टी: यह एक हर्बल टी होती है. इसको अपराजिता नाम के फूल से बनाया जाता है. इसको पीने से याददाश्त बढ़ता है. इसके साथ-साथ इससे एंग्जायटी घटता है. इसको पीने से अस्थमा में आराम मिलता है. यह डायबिटीज की रोकथाम में मददगार है. रेड टी: इसे रूइबोस टी भी कहते हैं. यह एक दक्षिण अफ्रीका में उगने वाले 'एस्पैलाथस' नाम के एक पेड़ से मिलती है. ग्रीन टी की तुलना में इसमें 50% अधिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं. इसको पीने से डाइजेशन ठीक होता है. इससे बाल मजबूत होते हैं. येलो टी: यह चाय पीने की शुरुआत चीन से हुई थी. इसकी पत्तियों को खास तरीके से सुखाकर बनाया जाता है. इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट ग्रीन टी के बराबर ही होते हैं. पिंक टी: यह चाय हिबिस्कस यानी गुड़हल के फूल से बनाई जाती है. इसको पीने से डायबिटीज और पेट की समस्याओं से निजात मिलती है.