International Malala Day 2023: महिलाओं और बच्चों की शिक्षा और उनके अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाली मलाला युसुफजई (Malala Yousafzai) का अब तक का सफर बेहद अनूठा है. छोटी सी उम्र में उन्‍होंने अपने जज्‍बे से वो काम कर दिखाए जो हर आदमी के लिए कर पाना आसान नहीं होता. हर साल 12 जुलाई को मलाला युसुफजई का जन्‍मदिन  (Malala Yousafzai Birthday) मनाया जाता है. उनके जन्‍मदिन को संयुक्‍त राष्‍ट्र (United Nation) की ओर से अंतरराष्‍ट्रीय मलाला दिवस (International Malala Day ) के तौर पर घोषित किया गया है. इस दिन को दुनियाभर में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के सम्मान में सेलिब्रेट किया जाता है. आइए आपको बताते हैं कि कैसे हुई मलाला के नाम पर इस दिन को मनाने की शुरुआत.

पहले जानिए कौन हैं मलाला

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मलाला पाकिस्तान की बाल एवं महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं. मलाला का जन्म 1997 में पाकिस्तान के खैबर पख्‍तूनख्‍वाह प्रांत के स्वात जिले में हुआ था. वो जहां रहती थीं, वहां साल 2007 में तालिबानियों ने लड़कियों की पढ़ाई पर पाबंदी लगा दी. मलाला का मन पढ़ने-लिखने में खूब लगता था, लिहाजा इसके विरोध में मलाला ने महज 11 साल की उम्र से ही लड़कियों की शिक्षा के लिए वकालत शुरू कर दी. वे अक्‍सर ब्‍लॉग लिखकर ये बताती थीं कि तालिबानियों के साए में लड़कियों की जिंदगी कैसी है. 

लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाने के कारण वो तालिबानियों के निशाने पर आ गई और साल 2012 में तालिबान ने मलाला के सिर में गोली मार दी थी. इस हमले के बाद मलाला कैसे जिंदा बचीं, इस बात को वो खुद भी नहीं समझ पातीं. तालिबानियों के इस हमले से उबरने के बाद उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया और लड़कियों की शिक्षा के लिए उनकी आवाज और भी बुलंद हो गई.

कैसे हुई मलाला दिवस मनाने की शुरुआत

हमले से उबरने के बाद साल 2013 में जब मलाला महज 16 साल की थीं, तब उन्‍होंने अपनी बात यूनाइटेड नेशंस तक पहुंचाई. उस समय मलाला ने लड़कियों की शिक्षा पर एक भाषण दिया. उनके इस भाषण के बाद यूएन मुख्यालय में मौजूद सभी सदस्यों ने तालियां बजाकर उनकी सरहाना की. इस भाषण के चर्चे दुनियाभ में हुए. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने मलाला के जन्‍मि‍दन को 'अंतरराष्‍ट्रीय मलाला डे' के तौर पर घोषित किया. ये दिन लड़कियों की शिक्षा और उनके अधिकारों के लिए किए गए उनके तमाम कामों को सम्‍मान देने के लिए सेलिब्रेट किया जाता है. 

भाषण के एक साल बाद नोबेल पुरस्‍कार से सम्‍मानित

यूएन में भाषण देने के बाद टाइम मैगजीन ने मलाला को दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्‍यक्तित्‍व के तौर पर लिस्‍ट में शामिल किया. भाषण के ठीक एक साल बाद यानी साल 2014 में उन्‍हें नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया. जब उन्‍हें ये पुरस्‍कार दिया गया, तब मलाला की उम्र मात्र 17 साल थी. नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाली वे अब तक की सबसे कम उम्र की शख्‍स हैं. मलाला और उनके पिता ने ‘मलाला फंड’ की स्थापना की है, जो युवा लड़कियों को स्कूल जाने में मदद करता है.

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