International Childhood Cancer Day 2024: बड़ों में ही नहीं, बच्चों में भी होता है कैंसर, ज्यादातर सामने आते हैं ये लक्षण
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की मानें तो दुनियाभर में हर दिन 1000 से ज्यादा कैंसर के मामले बच्चों में देखने को मिलते हैं. इस बीमारी को लेकर जागरुक करने के लिए हर साल 15 फरवरी को इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे मनाया जाता है.
कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं क्योंकि ये जानलेवा होती है. परेशान करने वाली बात ये है कि अधिकतर मामलों में इस बीमारी का पता काफी देर से चल पाता है और तब तक मरीजों की स्थिति बिगड़ जाती है. आमतौर पर लोगों का मानना है कि कैंसर की बीमारी ज्यादातर बड़ों में देखने को मिलती है, लेकिन ये बच्चों में भी होती है.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की मानें तो दुनियाभर में हर दिन 1000 से ज्यादा कैंसर के मामले बच्चों में देखने को मिलते हैं. हाई इनकम वाले देश जहां बेहतर सुविधाएं और इलाज वगैरह मौजूद हैं, वहां करीब 80 फीसदी बच्चे ठीक हो जाते हैं, लेकिन निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 30 फीसदी बच्चे की रिकवर हो पाते हैं. इस बीमारी के प्रति सचेत करने के लिए हर साल 15 फरवरी को इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे (International Childhood Cancer Day) मनाया जाता है. आइए आपको बताते हैं बच्चों के कैंसर से जुड़ी जरूरी बातें.
बच्चों में होने वाले सबसे कॉमन कैंसर
बच्चों में ज्यादातर ल्यूकेमिया, ब्रेन कैंसर, लिम्फोमा और सॉलिड ट्यूमर जैसे न्यूरोब्लास्टोमा और विल्म्स ट्यूमर आदि देखने को मिलते हैं. ल्यूकेमिया बच्चों में होने वाला ल्यूकेमिया सबसे आम कैंसर है.
क्या है बच्चों में कैंसर होने की वजह
डब्ल्यूएचओ के अनुसार कैंसर किसी भी उम्र पर शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है. ये सिंगल सेल्स में आनुवांशिक बदलाव के कारण होता है और फिर बढ़ते हुए एक ट्यूमर में तब्दील हो जाता है. अगर समय रहते इसकी पहचान न हो पाए और इसका इलाज न किया जाए तो ये तेजी से फैलता है और मौत की वजह बन सकता है. हालांकि बड़ों की तरह बच्चों में कैंसर के सटीक कारण का पता फिलहाल नहीं चल पाया है. बच्चों में कैंसर का पता लगाने के लिए बहुत सारी स्टडीज की गईं, लेकिन बच्चों में बहुत कम कैंसर लाइफस्टाइल या एनवॉयरनमेंटल फैक्टर्स की वजह से पाए गए हैं.
कुछ क्रॉनिक इंफेक्शन जैसे एचआईवी, एपस्टीन-बार वायरस और मलेरिया को चाइल्डहुड कैंसर का रिस्क फैक्टर्स माना जाता है. तमाम अन्य संक्रमणों से बच्चे में वयस्क होने पर कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए बच्चों में वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है. मौजूदा आंकड़ों से पता चलता है कि कैंसर से पीड़ित सभी बच्चों में से लगभग 10% में आनुवंशिक कारकों के कारण ये समस्या होती है. हालांकि बच्चों में कैंसर की ग्रोथ को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स की पहचान करने के लिए और ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है.
बच्चों में कैंसर के लक्षण
- लंबे समय तक अकारण ही बुखार रहना
- शरीर में अकारण ही पीलापन
- कमजोरी होना
- आसानी से कहीं भी खरोंच लगना और खून आना
- शरीर पर कहीं गांठ, सूजन या दर्द होना
- सिरदर्द के साथ अक्सर उल्टी होना
- आंखों की रोशनी घटना
- वजन में अचानक कमी आना
- शरीर पर लाल धब्बे आदि
स्क्रीनिंग से नहीं होती पहचान
चाइल्डहुड कैंसर की पहचान या इसकी रोकथाम स्क्रीनिंग के जरिए नहीं की जा सकती. इसको लेकर अलर्ट रहने की जरूरत है. अगर आपको अपने बच्चे में इस तरह के कोई भी लक्षण नजर आते हैं तो लापरवाही न करें. विशेषज्ञ की सलाह से उसकी जरूरी जांचें करवाएं. अगर चाइल्डहुड कैंसर की पहचान समय रहते कर ली जाए और बच्चे को सही इलाज मिल जाए, तो जान बचाई जा सकती है.
चाइल्डहुड कैंसर जेनेरिक दवाओं, सर्जरी और रेडियोथेरेपी वगैरह के जरिए ठीक किया जा सकता है. ज्यादातर मामलों में चाइल्डहुड कैंसर से मौत की वजह, बीमारी की पहचान समय से न हो पाना, इलाज न मिल पाना, सही इलाज न मिल पाना आदि को माना जाता है.