International Chess Day 2023: भारत का चतुरंग कैसे बन गया Chess? जानिए ये दिलचस्प कहानी
Interesting Facts about Chess: शतरंज का खेल भारत ने ही पूरी दुनिया को दिया है. प्राचीन काल में भारत में इस खेल को चतुरंग के नाम से खेला जाता था. 44वें चेस ओलंपियाड के लिए टॉर्च रिले की लॉन्चिंग के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने भी भारत के चतुरंग का जिक्र किया था.
History of Chess: शतरंज दिमाग से खेलने वाला गेम है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति शतरंज अच्छे से खेलना जानता है, उसे जिंदगी में किसी भी तरह की स्थिति से निपटने का तरीका आ जाता है. ये खेल व्यक्ति को धैर्य, प्लानिंग, विश्वास और अनुशासन सिखाता है. शतरंज को अंग्रेजी में चेस (Chess) कहा जाता है. Chess का नाम सुनकर ऐसा लगता है कि ये गेम किसी दूसरे देश का है. लेकिन वास्तव में शतरंज का खेल दुनिया को भारत ने दिया है, लेकिन तब इसे चतुरंग के तौर पर खेला जाता था.
44वें चेस ओलंपियाड के लिए टॉर्च रिले की लॉन्चिंग के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी चतुरंग का जिक्र किया था और बताया था कि सदियों पहले भारत से ही चतुरंग के रूप में शतरंज की मशाल पूरी दुनिया में गई थी. हर साल 20 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस (International Chess Day) मनाया जाता है क्योंकि इसी तारीख को अंतर्राष्ट्रीय शतरंज संघ (FIDE) की स्थापना हुई थी. आज इस मौके पर हम आपको बताते हैं शतरंज के खेल का दिलचस्प इतिहास.
चतुरंग का इतिहास
दरअसल काले और सफेद रंग के चौखानों वाले पट पर खेले जाने वाला चतुरंग भारत का प्राचीन खेल है. इसका जिक्र भविष्य पुराण में भी मिलता है. इतना ही नहीं हड़प्पा कालीन सभ्यता में भी चतुरंग के अवशेष मिले हैं. लेकिन इसका प्रचार प्रसार छठी शताब्दी के समय ज्यादा हुआ और इस खेल को लोकप्रियता मिली. यही वजह है कि तमाम इतिहासकार आज भी चतुरंग की शुरुआत भी छठी शताब्दी के समय से मानते हैं. कहा जाता है कि उस समय चतुरंग को 64 चौखानों के पट पर खेला जाता था. उस समय ये खेल युद्ध वाले फॉर्मेट में था, जिसमें पैदल सेना, घुड़सवार सेना, हाथी, रथ, शूरवीर, किश्ती और बिशप आदि शामिल थे.
ऐसे चतुरंग से शतरंज हो गया इस खेल का नाम
भारत के बाद ये खेल पारसी लोगों के बीच प्रचलित हुआ और पारसी देशों में भी इसे खेला जाने लगा. इस तरह लोकप्रियता बढ़ते-बढ़ते चतुरंग धीरे धीरे यूरोप, चीन, रूस, स्पेन आदि देशों में खेला जाने लगा और कुछ समय बाद पूरी दुनिया में ये खेल काफी प्रसिद्ध हो गया. उस समय ये पहला ऐसा खेल था, जिसे खेलने के लिए काफी दिमाग खर्च करना पड़ता था. जैसे-जैसे इस खेल का प्रचार-प्रसार बढ़ा, इस खेल में और इसके नामों में भी बदलाव होने लगे. इसी बीच ये चतुरंग से चतरंग और फिर शतरंज बन गया.
कैसे बन गया ये Chess
चतुरंग को Chess नाम फ्रांस में मिला. कहा जाता है कि तमाम देशों में चतुरंग का प्रचार प्रसार होते-होते जब ये खेल फ्रांस तक पहुंचा तो वहां इसे Echecs कहा गया. फ्रेंच में Echecs का अर्थ होता है हार जाना. एचेस को अंग्रेजी में Chess कहा जाने लगा. आज दुनियाभर में इस खेल का नियंत्रण FIDE करता है जिसका पूरा नाम Fédération Internationale Des Echecs (फेडरेशन इंटरनेशनल दि एचेस) है. FIDE वैश्विक स्तर पर शतरंज के खेल का आयोजन करता है, जिसे जीतने वाले को ग्रैंड मास्टर की उपाधि दी जाती है. फिडे को इंटरनेशनल चेस फेडरेशन या वर्ल्ड चेस फेडरेशन के नाम से भी जाना जाता है.
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