कभी देश के इस खूबसूरत शहर में इंडियंस को नहीं थी घूमने की इजाजत, ब्रिटिशर्स ने बड़े अक्षरों में लिखवाया था 'Indians Not Allowed'
मसूरी में आज के समय में भारतीय सैलानियों की इतनी भीड़ होती है कि पैर रखने को भी जगह नहीं मिल पाती, लेकिन कभी इस जगह पर भारतीयों को कदम रखना भी मना था. यहां जानिए इस शहर से जुड़ी वो दिलचस्प बातें जो शायद आप न जानते हों.
मसूरी एक ऐसा हिल स्टेशन है जहां हर साल लाखों भारतीय सैलानी घूमने के लिए पहुंचते हैं. गर्मियों में आप अगर यहां पहुंचें तो इतनी भीड़ मिलेगी कि पैर रखने की जगह भी मुश्किल से मिलेगी. आप भी हो सकता है पहले कई बार गए हों, लेकिन आपको यहां से जुड़े तमाम दिलचस्प किस्से नहीं पता होंगे. मसूरी देश का वो हिल स्टेशन है जहां कभी अंग्रेजों ने भारतीयों के घूमने पर कड़ी पाबंदी लगाई थी. यहां दीवार पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखाया गया था था 'Indians Not Allowed'. आज ये जगह लोगों के फेवरेट डेस्टिनेशंस में शामिल है. यहां जानिए मसूरी से जुड़े दिलचस्प किस्से.
अंग्रेजों ने बसाया था मसूरी
मसूरी को अंग्रेजों ने बसाया था. कहा जाता है कि 1823 में अंग्रेजी हुकूमत के एक प्रशासनिक अफसर एफ.जे. शोर यहां आए. वे पर्वतारोहण करते हुए इस जगह तक पहुंचे थे. उन्होंने देखा कि इस स्थान से दून घाटी का मनोरन दृश्य दिखाई देता है. यहां के प्राकृतिक नजारे को देखकर वो मोहित हो गए और उन्होंने शिकार के लिए एक मचान बनाने का फैसला किया. इसके कुछ समय बाद अंग्रेजों ने यहां पहला भवन बनवाया. 1828 में लंढौर बाजार की बुनियाद रखी गयी. 1829 में मि. लॉरेंस ने लंढौर बाजार में पहली दुकान खोली गई. 1926-31 के बीच मसूरी तक में पक्की सड़कें पहुंच चुकी थीं और यहां पर तेजी से बसावट बढ़ने लगी थी.
भारतीयों के घूमने पर थी पाबंदी
आज आप भले ही अपनी मर्जी से कभी भी मसूरी घूमने का प्लान बना सकते हैं, लेकिन ब्रिटिश काल में यहां घूमने तो क्या भारतीयों को पैदल चलने की भी अनुमति नहीं थी. मसूरी के माल रोड पर ब्रिटिशर्स ने दीवार पर बड़े-बड़े लेटर्स में लिखवाया था- 'Indians and Dogs Not Allowed'. हालांकि इस नियम को पं मोती लाल नेहरू ने तोड़ दिया था. नेहरू परिवार को ये जगह काफी पसंद थी. साल 1920-1940 के दौरान वे अक्सर यहां आते-जाते थे.
कैसे पड़ा मसूरी नाम
मसूरी का नाम यहां बड़े पैमाने पर उगने वाले मंसूर के पौधे के कारण रखा गया. पहले इसे मन्सूरी कहा जाता था, फिर मसूरी कहा जाने लगा. आपको आज भी कुछ पुराने लोग इस जगह को मन्सूरी कहते हुए मिल जाएंगे. अगर आप भी मसूरी की सैर करना चाहते हैं तो ट्रेन, बस, कार और फ्लाइट वगैरह अपनी सुविधानुसार यहां पहुंच सकते हैं. मसूरी का सबसे पास का एयरपोर्ट जॉली ग्रांट (देहरादून) है और वहीं ट्रेन के जरिए भी आपको पहले देहरादून पहुंचना होगा. इसके बाद आप देहरादून से मसूरी घूमने के लिए जा सकते हैं. अगर आप बस से मसूरी पहुंचना चाहते हैं तो दिल्ली से मसूरी के लिए कई बसें चलती हैं.