क्या कोरोनाकाल में लगाई गई वैक्सीन बन रही है हार्ट अटैक की वजह? जानिए क्या कहती है ICMR की रिपोर्ट
ICMR ने स्टडी की रिपोर्ट जारी की है. ये रिपोर्ट इस बात से पर्दा उठाती है कि कोरोना के बाद अचानक बढ़े हार्ट अटैक के मामलों और अचाकक हुई मौतों के पीछे कोरोना वैक्सीन जिम्मेदार है या नहीं.
कोरोना काल में जब हर तरफ हाहाकार मचा था, हर दिन बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गवां रहे थे, उस समय वैक्सीन उनके लिए वरदान साबित हुई और उसकी वजह से ही हम कोरोना को मात दे पाए. लेकिन पिछले काफी समय से उसी वैक्सीन को लेकर तमाम सवाल उठने लगे थे. तमाम लोग हार्ट अटैक के मामलों को और कोरोना के बाद अचानक हुई मौतों को इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट से जोड़कर देख रहे थे.
इसके बाद वैक्सीन को लेकर स्टडी शुरू की गई. अब इस मामले में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने स्टडी की रिपोर्ट जारी की है. ये रिपोर्ट इस बात से पर्दा उठाती है कि कोरोना के बाद अचानक बढ़े हार्ट अटैक के मामलों और अचाकक हुई मौतों के पीछे कोरोना वैक्सीन जिम्मेदार है या नहीं. आइए आपको बताते हैं कि क्या है इस रिपोर्ट में-
हार्ट अटैक और मौत के लिए वैक्सीन जिम्मेदार नहीं
ICMR इस मामले को लेकर काफी समय से रिसर्च कर रहा था. अब इसकी रिपोर्ट जारी की गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना का वायरस दिल की बीमारी और स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ा देता है, लेकिन हार्ट अटैक और उसके कारण हुई मौतों के लिए कोरोना की वैक्सीन जिम्मेदार नहीं है. स्टडी में ये बताया गया है कि वैक्सीन की वजह से लोगों को सुरक्षा मिली और उन्हें वैक्सीन लेने से फायदा हुआ.
आईसीएमआर की इस स्टडी के लिए भारत में 18 से 45 साल के ऐसे 1145 युवाओं को शामिल किया गया जिनकी 1 अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2023 के बीच अचानक हार्ट अटैक से मौत हुई थी. 87 प्रतिशत लोगों को कोविड वैक्सीन की कम से कम एक डोज़ लग चुकी थी. 2 प्रतिशत को अस्पताल जाने की जरूरत पड़ी थी. 2 प्रतिशत को कोरोना से रिकवर होने के बाद भी सांस फूलने, ब्रेन फॉगिंग या दूसरी दिक्कतें बनी रही थी. 2 प्रतिशत को कोरोना से रिकवर होने के बाद भी सांस फूलने, ब्रेन फॉगिंग या दूसरी दिक्कतें बनी रहीं.
इन लोगों में से 10 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिनके परिवार में पहले भी किसी की सडन डेथ यानी अचानक मौत हो चुकी थी. मरने वालों में 27 प्रतिशत लोग यानी 713 लोग स्मोकर थे. 27 प्रतिशत यानी 715 लोग शराब पीते थे. मरने वालों में से 677 लोग ऐसे भी थे जिन्होंने मौत से 48 घंटे पहले 6 या उससे ज्यादा ड्रिंक्स ली थी. 18% यानी 692 लोग मौत से एक साल पहले तक एक्सरसाइज कर रहे थे.
इसके अलावा इस स्टडी को कंट्रोल ग्रुप में भी किया गया. कंट्रोल ग्रुप में 18 से 45 वर्ष के 4850 लोगों को शामिल किया गया जिसमें से 2916 का डीटेल एनालिसिस किया गया. इनमें से 81 प्रतिशत युवा वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगवा चुके थे. इनमें से 1 प्रतिशत लोग अस्पताल पहुंचे थे. 1 प्रतिशत को कोरोना से रिकवर होने के एक महीने तक कोरोना के साइड इफेक्टस जैसे सांस फूलने, स्मेल ना आने और ब्रेन फागिंग जैसी परेशानियां रहीं. 4 प्रतिशत के घर में किसी ना किसी की पहले भी सडन डेथ यानी अचानक मौत हो चुकी थी. कंट्रोल ग्रुप में 19 प्रतिशत स्मोकर थे. 13 प्रतिशत शराब पीते थे. 1 प्रतिशत ने किसी बीमारी से 48 घंटे पहले 6 या उससे ज्यादा पैग शराब पी थी. 17 प्रतिशत लोग 1 साल पहले से कोई ना कोई फिजीकल एक्टिविटी जैसे एक्सरसाइज कर रहे थे.
अचानक मौत के पीछे ये कारण जिम्मेदार
ऐसे लोग जिन्हें कोरोना की वजह से अस्पताल जाने की नौबत आई उनमें कोरोना से जान जाने का खतरा बाकियों के मुकाबले 4 गुना ज्यादा था.
परिवार में पहले से किसी की सडन डेथ यानी पहले भी किसी की अचानक मौत हो चुकी हो ऐसे लोगों में मौत का खतरा 3 गुना ज्यादा था.
स्मोकिंग और शराब जैसी आदतों को भी अचानक मौतों के पीछे जिम्मेदार पाया गया.
मौत से 48 घंटे पहले जमकर एक्सरसाइज यानी Intense Exercise करने वाले या 48 घंटे पहले ज्यादा शराब पीने वाले मामले खासतौर पर अचानक मौत के लिए जिम्मेदार पाए गए_