कभी सामान ढोने के काम आती थी Houseboat, जिसमें एक रात ठहरने के लिए आप खर्च कर देते हैं हजारों रुपए, जानें दिलचस्प कहानी
तमाम लोग हाउसबोट और शिकारा को एक ही समझते हैं, लेकिन इनके बीच फर्क होता है. शिकारा का मजा तो आपको कश्मीर की डल झील में मिल जाएगा, लेकिन हाउसबोट के लिए आपको केरल जाना होगा. जानिए हाउसबोट की दिलचस्प कहानी.
हाउसबोट का मजा लेने के लिए अक्सर लोग केरल जाते हैं. शाही सुविधाओं से लैस इन हाउसबोट्स में ठहरने के लिए लोग हजारों रुपए की रकम खर्च करते हैं क्योंकि पानी के बीच हाउसबोट में रहने का अनुभव ही बहुत अलग होता है. हालांकि कश्मीर के डल झील में भी शिकारा में इसी तरह का अनुभव मिल जाता है, लेकिन हाउसबोट और शिकारा में अंतर है. शिकारा झील में एक ही जगह पर रहती है, लेकिन केरल के हाउसबोट सारी सुविधाओं को देने के साथ आपको धीरे-धीरे सफर कराते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लग्जरी होटल की सुविधाएं देने वाले इन हाउसबोट्स का इस्तेमाल कभी माल ढोने के लिए होता था? आइए आपको बताते हैं हाउसबोट का दिलचस्प इतिहास.
केट्टुवल्लम ऐसे बना हाउसबोट
केरल के हाउसबोट कभी माल ढोने वाला केट्टुवल्लम था. केट्टु का मतलब है 'तैरता ढांचा' और 'वल्लम' का अर्थ है नाव. ये नाव पनस की लकड़ी के गट्ठों से बनती है और इस पर छाल के सहारे छत बनाई जाती है. केरल के केट्टुवल्लम को कभी कई टन चावल और मसालों को लाने-ले जाने और अन्य सामानों की ढुलाई के लिए इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन समय के साथ ट्रक वगैर सामान ढुलाई के तमाम नए साधन आ गए. दूसरे साधन केट्टुवल्लम के मुकाबले सस्ते भी पड़ते थे और इन्हें मेंटेन करने के लिए भी बहुत मेहनत की जरूरत नहीं थी.
ऐसे में केट्टुवल्लम की जरूरत कम होने लगी. तब केरल के नाविकों ने केट्टुवल्लम को टूरिस्ट के लिए इस्तेमाल करने के बारे में सोचा और इसके अंदर वो सभी सुविधाएं दीं, जो एक होटल में मिलती हैं. नाविकों का ये आइडिया काम कर गया और टूरिस्ट इसकी ओर आकर्षित होने लगे. इस तरह करीब 100 साल पुराना केट्टुवल्लम, हाउसबोट में तब्दील हो गया.
Luxurious होटल की सुविधाएं
आज के हाउसबोट में टूरिस्ट के लिए हर शाही सुविधाओं का इंतजाम किया जाता है. इसमें रहने के लिए Luxurious कमरे, कमरे से अटैच वॉशरूम, किचन वगैरह होते हैं. हाउसबोट की सैर करने वाले गेस्ट का भोजन इसी किचन में बनता है. ये हाउसबोट टूरिस्ट को इन सभी सुविधाओं के साथ टूरिस्ट को यात्रा भी कराती है और केरल के खूबसूरत नजारे दिखाती है. इसे चलाने के लिए कम से कम तीन कर्मचारी तैनात रहते हैं क्योंकि ये बोट मीलों का सफर तय करती है. इस कारण इसमें अच्छा खासा डीजल खर्च होता है. यही वजह है कि इसका किराया भी महंगा होता है.
केरल की इन जगहों पर मिलेगा हाउसबोट का मजा
हालांकि विदेश से आने वाले टूरिस्ट केरल के इस हाउसबोट को काफी पसंद करते हैं. अगर आप भी केरल जाने का मन बना रहे हैं, तो अलेप्पी, तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोट्टयम, आलपुझा , एर्नाकुलम , त्रिश्शूर और कासरगोड़ में आपको हाउसबोट में रहने का मौका मिल जाएगा. अलेप्पी तो हाउसबोट का हब है. यहां हर तरह की सुविधाओं वाली हाउसबोट आपको मिल जाएगी. कुछ में तो आपको 5 स्टार होटल की सुविधाएं भी मिल जाएंगी.
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