Lathmar Holi 2024 Date: ब्रज की होली दुनियाभर में काफी प्रसिद्ध है. खासतौर पर बरसाने की लट्ठमार होली... दूर-दूर से लोग लट्ठमार होली में शामिल होने के लिए बरसाना पहुंचते हैं. बसंत पंचमी के साथ ही ब्रज में होली की शुरुआत हो जाती है और ये सिलसिला लगातार 40 दिनों तक चलता है. इस बीच ब्रज के तमाम क्षेत्रों बरसाना, मथुरा, वृंदावन, नंदगांव वगैरह में अलग-अलग तरह की होली खेली जाती है. अगर आप भी इस बार बरसाने की लट्ठमार होली में शामिल होना चाहते हैं तो जान लीजिए कि ये होली कब खेली जाएगी.

ब्रज की होली 2024 का कैलेंडर

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ब्रज में होली खेलने का सिलसिला 17 मार्च से शुरू होगा और ये 27 मार्च तक जारी रहेगा. इस दौरान ब्रज के तमाम क्षेत्रों में लड्डू होली, फूलों की होली, गुलाल की होली, पानी वाली होली, लट्ठमार होली आदि कई तरह की होली का आयोजन किया जाएगा. जानिए किस दिन कौन सी होली खेली जाएगी-

  • 17 मार्च 2024 दिन रविवार को नंदगांव में फाग आमंत्रण उत्सव होगा और इसी दिन बरसाना के श्रीजी मंदिर में लड्डू होली होगी.
  • 18 मार्च 2024 दिन सोमवार को बरसाना की मुख्य लट्ठमार होली खेली जाएगी.
  • 19 मार्च 2024 दिन मंगलवार को नंदगांव के नंद भवन में लट्ठमार होली खेली जाएगी.
  • 20 मार्च 2024 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर लट्ठमार होली खेली जाएगी.
  • 21 मार्च 2024 दिन गुरुवार को वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में फूलवालों की होली खेली जाएगी.
  • 21 मार्च 2024 ही को गोकुल में छड़ीमार होली खेली जाएगी और इसी दिन मथुरा में भगवान कृष्ण के जन्मस्थान मंदिर और पूरे मथुरा में विशेष आयोजन होगा और होली भी मनाई जाएगी.
  • 22 मार्च 2024 दिन शुक्रवार को गोकुल होली मनाई जाएगी और रमण रेती दर्शन किए जाएंगे.
  • 24 मार्च 2024 दिन रविवार को होलिका दहन (होली अग्नि), द्वारकाधीश मंदिर डोला और मथुरा विश्राम घाट, बांके बिहारी वृन्दावन में होलिका दहन किया जाएगा.
  • 24 मार्च 2024 को ही फालैन का पंडा जलती होली से निकलेगा.
  • 25 मार्च 2024 दिन सोमवार को द्वारकाधीश बृज में धुलंडी होली मनाई जाएगी. इसमें टेसू फूल/अबीर गुलाल होली और रंग-बिरंगे पानी की होली खेली जाएगी.
  • 26 मार्च 2024 को दाऊजी हुरंगा होगा और 26 मार्च को ही जाव का हुरंगा होगा. इसी दिन मुखराई में चरकुला नृत्य होगा.
  • 27 मार्च 2024 को गिडोह का हुरंगा होगा.

ऐसे खेली जाती है लट्ठमार होली

लट्ठमार होली वाले दिन नंदगांव के लोग कमर पर फेंटा लगाकर बरसाना पहुंचते हैं. इस बीच बरसाने की महिलाएं उन पर लाठियां भांजती हैं. पुरुषों को इन लाठियों से बचना होता है और साथ ही महिलाओं को रंगों से भिगोना होता है. लाठी की मार से बचने के लिए वे ढाल का इस्तेमाल करते हैं. होली खेलने वाले पुरुषों को होरियारे और महिलाओं को हुरियारिनें कहा जाता है. लट्ठमार होली के अगले दिन बरसाना के लोग नंदगांव की महिलाओं के साथ होली खेलने जाते हैं. 

कैसे शुरू हुई लट्ठमार होली की परंपरा

कहा जाता है कि लट्ठमार होली की ये परंपरा राधारानी और श्रीकृष्‍ण के समय से चली आ रही है. नटखट कान्हा उस समय अपने सखाओं को साथ लेकर राधा और अन्य गोपियों के साथ होली खेलने और उन्हें सताने के लिए नंदगांव से बरसाना पहुंच जाया करते थे. परेशान होकर राधारानी और उनकी सखियां कन्‍हैया और उनके गोप-ग्‍वालों पर लाठियां बरसाती थीं. लाठियों के वार से बचने के लिए कृष्ण और उनके सखा ढालों प्रयोग करते थे. तब से राधा और कृष्‍ण के भक्‍त आज भी उस परंपरा को निभाते आ रहे हैं. हर साल बरसाने में बड़े स्‍तर पर लट्ठमार होली का आयोजन किया जाता है.