होली का त्‍योहार आने में कुछ ही समय बाकी रह गया है. हर साल फाल्‍गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है. पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर रंगों की होली खेली जाती है. होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इस बार होलिका दहन 7 मार्च को किया जाएगा और 8 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी. जानिए होलिका दहन के शुभ मुहूर्त, विधि और महत्‍व के बारे में.

होलिका दहन शुभ मुहूर्त

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो इस बार होलिका दहन के लिए शुभ समय 2 घंटे 27 मिनट का है. 7 मार्च 2023 को शाम 6 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट के बीच का समय होलिका दहन के लिए काफी शुभ है. होलिका दहन के बाद अगले दिन यानी 8 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी.

होलिका दहन की विधि

होलिका दहन के लिए लकड़ी और उसके आसपास उपलों को रखकर शुभ मुहुर्त में जलाया जाता है. इस बीच सभी लोग होलिका की गुलाल से पूजा करते हैं, गुड़ की गुजिया और होली पर बने तमाम व्‍यंजनों को अग्नि में समर्पित करते हैं. परिक्रमा लगाते हुए गेहूं की बालियां और हरे चने आदि को अग्नि को समर्पित किया जाता है. इसके बाद एक दूसरे को गुलाल लगाकर, मीठा खिलाकर और गले मिलकर होली के पर्व की बधाई दी जाती है.

होलिका दहन का महत्‍व

होलिका दहन को बुराई पर अच्‍छाई की जीत का प्र‍तीक माना जाता है. मान्‍यता है कि इससे जीवन की नकारात्‍मकता दूर होती है और जीवन में खुशहाली आती है. होलिका दहन को लेकर एक कथा भी प्रचलित है. कथा के अनुसार  हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था जिसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था, इस कारण हिरण्यकश्यप अपने पुत्र को मरवाने का प्रयास करता रहता था, लेकिन उसके सारे प्रयास विफल हो जाते थे. एक बार उसने अपने बेटे को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को उसे गोद में लेकर आग में बैठने को कहा. होलिका को अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्‍त था. लेकिन होलिका जैसे ही प्रहलाद को लेकर आग में बैठी, वो जलकर भस्‍म हो गई और प्रहलाद बच गया. जिस दिन ये घटना घटी, उस दिन फाल्‍गुन मास की पूर्णिमा तिथि थी. तब से हर साल इस दिन होली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है.  

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें