हिंदी दिवस 2022: पूरा देश आज (14 सितंबर) राष्‍ट्रीय हिंदी दिवस मना रहा है. भारत में करीब 50 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं. करोड़ों लोगों के लिए यह रोजगार की भी भाषा है. भारत के अलावा मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद एवं टोबैगो और नेपाल समेत कई अन्‍य देशों में भी हिंदी का अच्‍छा खासा चलन है. हिंदी भाषा और हिंदी दिवस को लेकर कई ऐसे छोटे-छोटे सवाल उठते हैं, जैसे हिंदी भाषा कितनी पुरानी है, इसका मूल क्‍या है. विश्‍व हिंदी दिवस से राष्‍ट्रीय हिंदी दिवस कैसे अलग है? कुछ ऐसे ही कुछ छोटे-छोटे सवालों के जबाब तलाशते हैं.

करीब 1,000 साल पुराना इतिहास 

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हिन्दी भाषा का इतिहास करीब 1,000 साल पुराना माना गया है. सामान्यतः प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी साहित्य की शुरुआत मानी जाती है. उस समय अपभ्रंश के कई रूप थे और उनमें सातवीं-आठवीं शताब्दी से ही 'पद्य' रचना शुरू हो गई थी. हिन्दी भाषा व साहित्य के जानकार अपभ्रंश की अंतिम अवस्था 'अवहट्ट' से हिन्दी का उद्भव स्वीकार करते हैं.  

विश्व हिंदी दिवस से अलग है राष्ट्रीय हिंदी दिवस

हिदी दिवस साल में दो बार 10 जनवरी और 14 सितंबर को मनाया जाता है. 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है और 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस होता है. हालांकि, दोनों का उद्देश्य हिंदी का प्रचार प्रसार ही है. पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा संसद में की. आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था. 

वहीं, हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाने के पीछे की वजह ये है कि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 10 जनवरी 2006 को विश्व हिंदी दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की गई थी. इस दिन के इतिहास की बात करें, तो पहला विश्‍व हिंदी सम्‍मेलन नागपुर (महाराष्ट्र) में 10 जनवरी 1975 में आयोजित किया गया था. 

राजभाषा है हिंदी 

हिंदी राष्ट्रीय नहीं बल्कि राजभाषा है. 14 सितंबर 1949 को देवनागरी लिपि हिंदी को भारत की राजभाषा तौर पर स्वीकार किया गया था. वहीं, 26 जनवरी 1950 को संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई थी. अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में हिंदी बोलने वालों की संख्या करीब 75-80 करोड़ है. भारत में करीब 77 फीसदी लोग हिंदी लिखते, पढ़ते, बोलते और समझते हैं.