Banarasi Paan History: दुनियाभर में मशहूर बनारसी पान को GI टैग मिला है. पान के अलावा बनारसी लंगड़ा आम, रामनगर भांटा (बैंगन) और आदमचीनी चावल को भी जीआई टैग मिला है. लेकिन यहां बात करेंगे पान की. पान की क्‍योंकि पान के शौकीन आपको जगह-जगह मिल जाएंगे. पान को बेहतरीन माउथ फ्रेशनर के तौर पर जाना जाता है. लेकिन क्‍या कभी आपने ये सोचा कि आखिर ये पान माउथ फ्रेशनर के तौर पर चलन में कैसे आया और उसमें भी बनारसी पान में ऐसा क्‍या है कि वो दुनियाभर में मशहूर हो गया? आइए आपको बताते हैं. 

पान कैसे बना माउथ फ्रेशनर

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पान को माउथ फ्रेशनर बनाने का श्रेय मुगलों को दिया जाता है. कहा जाता है कि मुगलों ने सबसे पहले पान में  चूना, लौंग, इलाइची वगैरह डालकर माउथ फ्रेशनर के रूप में खाना शुरू किया. जब भी मुगल बादशाह के यहां कोई खास मेहमान आता था, तो वे बड़े अदब के साथ उसे पान जरूर खिलाते थे. धीरे-धीरे मुगलों के बीच ये चलन बढ़ने गा और इसकी लोकप्रियता बढ़ गई. इसके बाद बड़ी तादाद में शाही दरबार में पान के पत्तों को भेजा जाने लगा. उस समय मुगल शासकों की बेगम न सिर्फ पान को खाती थीं, बल्कि इसे होंठों पर लाली के तौर पर भी इस्‍तेमाल करती थीं. 

धीरे-धीरे पान इतना मशहूर रहा कि अंग्रेजों के जमाने में भी इसे माउथ फ्रेशनर के तौर पर खूब खाया गया. समय के साथ जैसे-जैसे इसकी लोकप्रियता बढ़ी, पान में कई तरह के प्रयोग किए गए. इसमें कत्‍था, चुना, लौंग, इलायची, गुलकंद, सुपारी जैसी चीजें डाली जाने लगीं. आज के समय में तो आपको सादा पान, मीठा पान, चॉकलेटी पान आदि तमाम तरह के पान की वैरायटी आसानी से बाजार में मिल जाएगी.

क्‍यों प्रचलित है बनारसी पान

अब अगर बात की जाए कि बनारसी पान में ऐसा क्‍या है कि वो दुनियाभर में प्रचलित है, तो इसका जवाब है वहां का पान का पत्‍ता और इसे लगाने का अंदाज. बेहतरीन स्‍वाद और मुंह में मलाई की तरह घुल जाना बनारसी पान की खूबी है. बनारस में कई तरह के पान आपको मिल जाएंगे जैसे सादा पान, मीठा पान, गुलाब पान, पंचमेवा पान, जर्दा पान, नवरत्‍न पान, बनारसी केसर पान, बनारसी गिलोरी पान, बनारसी अमावट पान वगैरह वगैरह. इन सभी को लगाने का तरीका भी एकदम खास होता है. किसी में जर्दा नहीं लगता, तो किसी में पंचमेवा का इस्‍तेमाल किया जाता है. किसी में पान मसाले के साथ केसर का इस्‍तेमाल होता है तो किसी में पंचमेवे के साथ गुलकंद. सभी तरह के पान की अपनी खासियत है और यही इसे दुनियाभर में मशहूर बनाती है. पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी बाजपेयी तक, तमाम बड़ी हस्तियां बनारस के पान का स्‍वाद चख चुकी हैं.

क्‍या होता है GI Tag

GI टैग यानि जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग ये एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी प्रोडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है. ऐसा प्रोडक्ट जिसकी विशेषता या फिर नाम खास तौर से प्रकृति और मानवीय कारकों पर निर्भर करती है.