Cannes Film Festival में पायल कपाड़िया ने रचा इतिहास, ये अवॉर्ड जीतने वाली बनीं पहली भारतीय, पीएम मोदी ने दी बधाई
Cannes Film Festival Payal Kapadia: कान्स फिल्म फेस्टिवल में इस साल भारतीय फिल्ममेकर्स का बोलबाला रहा. पायल कपाड़िया ने “ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट” के लिए ग्रां प्री पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय फिल्मकार बनकर इतिहास रच दिया.
Cannes Film Festival Payal Kapadia: भारत के लिए इस साल का कान फिल्म महोत्सव शानदार रहा और पायल कपाड़िया की “ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट”, एफटीआईआई के छात्र चिदानंद एस. नाइक की “सनफ्लावर वेयर द फर्स्ट वन्स टू नो”, और “द शेमलेस” की अनसूया सेनगुप्ता को अलग-अलग श्रेणी में प्रमुख पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. शनिवार को संपन्न हुआ कान फिल्म महोत्सव का 77वां संस्करण निस्संदेह देश के लिए सबसे अच्छा रहा, इस दौरान आठ भारतीय या भारत पर आधारित फिल्मों को पुरस्कार प्रतिस्पर्धाओं में जगह मिली.
Cannes Film Festival Payal Kapadia: ग्रां प्री पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय फिल्मकार बनीं पायल कपाड़िया
भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) की पूर्व छात्रा पायल कपाड़िया ने “ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट” के लिए ग्रां प्री पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय फिल्मकार बनकर इतिहास रच दिया. उन्होंने रविवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि हमने तीस साल बाद अपने देश के लिये यह पुरस्कार हासिल किया है. मैं आपकी ओर से मिली बेशुमार सराहना के लिए बहुत आभारी हूं. आपका प्रोत्साहन मुझे और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगा। बहुत-बहुत धन्यवाद.”
Cannes Film Festival Payal Kapadia: भारतीय महिला निर्देशक की पहली फीचर फिल्म
पायल कपाड़िया की पदार्पण फीचर फिल्म “ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट” 30 वर्ष में मुख्य प्रतिस्पर्धा में दिखाई गई भारत की पहली और किसी भारतीय महिला निर्देशक की पहली फिल्म है. इससे पहले शाजी एन. करुण की स्वाहम (1994) मुख्य प्रतिस्पर्धा में दिखाई गई थी. कपाड़िया ने अपने संबोधन में कहा, “हमारी फिल्म को यहां तक लाने के लिए कान फिल्म महोत्सव का शुक्रिया। एक और भारतीय फिल्म के लिए कृपया 30 साल तक इंतजार न करें.”
Cannes Film Festival Payal Kapadia: सीन बेकर की ‘अनोरा’ को पाम डि'ओर से किया गया सम्मानित
अमेरिकी निर्देशक सीन बेकर को ‘अनोरा’ के लिए सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार पाम डि'ओर से सम्मानित किया गया। कनी कुसरुति, दिव्या प्रभा और छाया कदम अभिनीत मलयाली-हिंदी फिल्म “ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट" मुंबई में सड़क यात्रा पर निकलीं तीन महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमती है. "ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट" को पहले ही उत्तरी अमेरिका में रिलीज के लिए वितरक मिल चुके हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि फिल्म भारत में कब प्रदर्शित की जाएगी.
Cannes Film Festival Payal Kapadia: पीएम नरेंद्रो मोदी ने सोशल मीडिया पर दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत को कपाड़िया की ऐतिहासिक उपलब्धि पर "गर्व" है. उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, "अपने काम 'ऑल वी इमेजिन एज लाइट' के लिए 77वें कान फिल्म समारोह में ‘ग्रैंड प्रिक्स’ जीतने की ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए पायल कपाड़िया पर भारत को गर्व है. भारत की समृद्ध रचनात्मकता की झलक के साथ एफटीआईआई की पूर्व छात्रा की उल्लेखनीय प्रतिभा वैश्विक मंच पर चमक रही है. यह प्रतिष्ठित सम्मान न केवल उनके असाधारण कौशल का सम्मान करता है, बल्कि भारतीय फिल्मकारों की नयी पीढ़ी को भी प्रेरित करता है."
Cannes Film Festival Payal Kapadia: राहुल गांधी ने किया ट्वीट, ऐसे दी पायल कपाड़ियों को बधाई'
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “77वें कान फिल्म महोत्सव में भारतीय सितारों का जलवा!” बुल्गारियन निर्देशक कॉन्स्टेंटिन बोजानोव की "द शेमलेस" में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रोडक्शन डिजाइनर सेनगुप्ता ‘अन सर्टेन रिगार्ड’ श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय बनीं. "द शेमलेस" शोषण और उत्पीड़न की एक अंधेरी दुनिया बयां करती है, जिसमें दो यौनकर्मी एक बंधन में बंधती हैं. सेनगुप्ता ने यह पुरस्कार “समलैंगिकों और अन्य कमजोर समुदायों” को समर्पित किया. उन्होंने कहा, “समानता के लिए लड़ने को लेकर आपको समलैंगिक होने की जरूरत नहीं है, आपको गुलामी के बारे में जानने के लिए गुलाम बनकर देखना जरूरी नहीं है - हमें बस सभ्य इंसान बनने की जरूरत है.”
Cannes Film Festival Payal Kapadia: इन फिल्मों ने भी कान्स फिल्म फेस्टिवल में जीते अवॉर्ड्स
नाइक की “सनफ्लावर वेयर द फर्स्ट वन्स टू नो...” को ला सिनेफ (फिल्म स्कूल फिक्शन या एनिमेटेड फिल्में) श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिला. कन्नड़ लोककथा पर आधारित यह फिल्म एक बूढ़ी औरत पर आधारित है, जो मुर्गा चुरा लेती है, जिसके बाद गांव में सूरज उगना बंद हो जाता है. इससे पहले, कान महोत्सव के लिए चुनी गईं भारतीय फिल्मों में मृणाल सेन की "खारिज" (1983), एम एस सथ्यू की "गर्म हवा" (1974), सत्यजीत राय की "पारस पत्थर" (1958), राज कपूर की "आवारा" (1953) वी शांताराम की "अमर भूपाली" (1952) और चेतन आनंद की "नीचा नगर" (1946) शामिल हैं.