Adipurush Controversy: फिल्म आदिपुरुष के डायलॉग को लेकर हर जगह चर्चा हो रही है. फिल्म रिलीज के बाद से ही फिल्म के डायलॉग लिखने वाले मनोज मुंतशिर को काफी ट्रोल किया जा रहा है. देश भर में इसको डायलॉग को लेकर बवाल हो रहा रहा है. इसको लेकर क्षत्रिय करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने फिल्म के डायरेक्टर को मारने की धमकी दी है. इसके बाद Dialogue लिखने वाले लेखक Manoj Muntashir ने ZEE News के दर्शकों से माफी मांगी. कहा, जिन संवादों ने आहत किया उसके लिए दिल से माफी मांगता हूं. डायलॉग को लेकर हो रही काफी तीखी आलोचना आदिपुरुष फिल्म के रिलीज के साथ ही फिल्म के कुछ डायलॉग को लेकर दर्शकों ने काफी तीखी आलोचना की है. इन विवादों के बाद फिल्म के मेकर्स बैकफुट पर आते हुए अपनी भूल सुधार का वादा किया है. Adipurush के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर शुक्ला ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि मैंने और फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है, कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं, उनमें सुधार किया जाएगा.

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मेकर्स ने लिया डायलॉग बदलने का फैसला आदिपुरुष फिल्म के डायलॉग पर हो रहे विवाद के बाद अब मेकर्स ने इन्हें बदलने का फैसला किया है. फिल्म में हनुमान जी के डायलॉग को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोलिंग हो रही थी. वहीं, इसके खिलाफ कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी. आदिपुरुष के डायलॉग राइट मनोज मुंतशिर शुक्ला ने सोशल मीडिया पर लिखा है, 'मैंने और फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है, कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं, उनमें सुधार किया जाएगा.'

मनोज मुंतशिर ने ट्वीट कर मांगी माफी आदिपुरुष के राइटर मनोज मुंतशिर शुक्ला ने ट्वीट कर लिखा, 'रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना. सही या गलत, समय के अनुसार बदल जाता है,भावना रह जाती है. आदिपुरुष में 4000 से भी ज्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, पांच पंक्तियों पर कुछ भावनाएं आहत हुईं. उन सैकड़ों पंक्तियों में जहां श्री राम का यशगान किया, मां सीता के सतीत्व का वर्णन किया, उनके लिए प्रशंसा भी मिलनी थी, जो पता नहीं क्यों मिली नहीं.'

कहां से आ गई इतनी कड़वाहट मनोज मुंतशिर ने अपने ट्वीट में आगे लिखा,'मेरे ही भाइयों ने मेरे लिये सोशल मीडिया पर अशोभनीय शब्द लिखे. वही मेरे अपने, जिनकी पूज्य माताओं के लिए मैंने टीवी पर अनेकों बार कविताएं पढ़ीं, उन्होंने मेरी ही मां को अभद्र शब्दों से संबोधित किया. मैं सोचता रहा, मतभेद तो हो सकता है, लेकिन मेरे भाइयों में अचानक इतनी कड़वाहट कहां से आ गई कि वो श्री राम का दर्शन भूल गये जो हर मां को अपनी मां मानते थे. शबरी के चरणों में ऐसे बैठे, जैसे कौशल्या के चरणों में बैठे हों.'