Adipurush: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को फिल्म 'आदिपुरुष' (Adipurush) के मेकर्स को फिल्म के संवादों को लेकर कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि फिल्म ने दर्शकों के एक बड़े वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई हैं. कोर्ट ने फिल्म पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हिंदू धर्म के लोग सहनशील हैं, तो क्‍या उनके सब्र का इम्तिहान लिया जाएगा. कोर्ट ने सवाल करते हुए कहा कि क्‍या फिल्म सेंसर बोर्ड ने अपनी जिम्मेदारी पूरी की है. इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए सवाल किया कि सेंसर बोर्ड ने इस बारे में क्या किया. 

भगवान के किरदार को कमतर दिखाया

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कोर्ट ने कहा, अच्छा हुआ कि लोगों ने फिल्म देखने के बाद कानून-व्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचाया. इस फिल्म में भगवान हनुमान और सीता को ऐसे दिखाया गया है जैसे वे कुछ भी नहीं हैं. इन चीजों को शुरू से ही हटा देना चाहिए था. कोर्ट ने कहा कि कुछ दृश्य 'ए' (वयस्क) श्रेणी के लगते हैं. ऐसी फिल्में देखना बहुत मुश्किल है.

लोगों की भावनाओं से छेड़छाड़

डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि फिल्म से आपत्तिजनक संवाद हटा दिए गए हैं, वहीं कोर्ट ने इस पर कहा कि अकेले इतने से काम नहीं चलेगा, आप दृश्यों का क्या करेंगे? कोर्ट ने कहा कि अगर फिल्म का प्रदर्शन रोका जाता है तो जिन लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं उन्हें राहत मिलेगी.

लोगों को बेवकूफ न समझें

डिस्क्लेमर हटाने वाली दलील पर कोर्ट ने कहा कि, क्या डिस्क्लेमर डालने वाले लोग देशवासियों और युवाओं को बुद्धिहीन मानते हैं? आप भगवान राम, भगवान लक्ष्मण, भगवान हनुमान, रावण की लंका दिखाते हैं और फिर कहते हैं कि यह रामायण नहीं है? कोर्ट ने कहा कि हमने खबरों में देखा कि लोग सिनेमाघरों में गए और फिल्म बंद करवा दी. शुक्र मनाओ कि किसी ने सिनेमाघरों को तोड़ा नहीं. फिल्म 'आदिपुरुष' को लेकर मामले में सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी.

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