UAV Drone Test: भारत ने स्वदेशी लड़ाकू ड्रोन बनाने की दिशा में अहम कदम बढ़ाया है. DRDO द्वारा विकसित स्टील्थ ड्रेन ने दूसरी उड़ान को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. कर्नाटक के चित्रदुर्ग के एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में स्वदेशी स्टील्थ ड्रोन ऑटोनोमस फ्लाइंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर (AFWTD) की टेस्ट फ्लाइट सफल रही है. इसी के साथ भारत ड्रोन बनाने के क्षेत्र में अमेरिका, चीन जैसा देशों की कतार में खड़ा हो गया है. इस ड्रोन को अमेरिका के B2 बॉम्बर जेट की तर्ज पर डिजाइन किया गया है. 

UAV Drone Test: ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत फिक्स्ड विंग, लगा है छोटा टोर्बोफैन इंजन

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भारत टेललेस कॉन्फिगरेशन में इस उड़ान के साथ, उन देशों के क्लब में शामिल हो गया है, जिन्होंने फ्लाइंग विंग कन्फिगरेशन के कंट्रोल में महारत हासिल कर ली है. इस ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत फिक्स्ड विंग है. ड्रोन में एक छोटा टर्बोफैन इंजन लगा है. गौरतलब है कि इस इंजन का इस्तेमाल HJT-36 जेट में भी किया गया है. ये इंजन  इस एयरक्राफ्ट प्रोटोटाइप को स्वदेशी रूप से एक जटिल एरोहेड विंग प्लेटफॉर्म के साथ स्वदेशी रूप से विकसित हल्के वजन वाले कार्बन प्रीप्रेग मिश्रित सामग्री के साथ डिजाइन किया गया है. 

UAV Drone Test: जुलाई 2022 में की गई थी सफल उड़ान, इस टेक्नोलॉजी का किया है इस्तेमाल

मानव रहित ड्रोन ने ग्राउंड राडार/बुनियादी ढांचे/पायलट की आवश्यकता के बिना ऑटोनॉमस लैंडिंग की एक बेहतरीन  क्षमता का प्रदर्शन किया है. गौरतलब है कि इस विमान की पहली सफल उड़ान जुलाई 2022 में की गई थी. इसके बाद दो आंतरिक रूप से निर्मित प्रोटोटाइप का इस्तेमाल करके  छह फ्लाइट टेस्ट किए गए हैं. ड्रोन में जीपीएस नेविगेशन की सटीकता और समग्रता में सुधार के लिए जीपीएस एडेड जीईओ ऑगमेंटेड नेविगेशन (जीएजीएएन) रिसीवर का इस्तेमाल किया गया है. 

रक्षा मंत्री श्राजनाथ सिंह ने इस प्रणाली के सफल उड़ान परीक्षण के लिए डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और रक्षा उद्योग जगत को बधाई दी है. रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने भी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और इस सफल उड़ान परीक्षण से जुड़ी टीमों को बधाई दी है.