दिल्‍ली में प्रदूषण के चलते बुरा हाल है. ऐसे में लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. दिल्‍ली में लगातार दूसरे दिन AQI 400 पार रहा जो गंभीर श्रेणी में है. वहीं एनसीआर की वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में बनी हुई है. ऐसे में हेल्‍थ एक्‍सपर्ट ने ऐसी बात कह दी है, जिससे आपकी फिक्र थोड़ी बढ़ सकती है. एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से बच्चों के फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है. इससे फेफड़ों के कैंसर, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस संबंधी बीमारियों का खतरा भी काफी बढ़ सकता है. बच्चे विशेष रूप से वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिससे उनके फेफड़ों के कैंसर के विकास का दीर्घकालिक जोखिम बढ़ सकता है. 

अस्थमा और ब्रोंकाइटिस का खतरा

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दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के कंसल्टेंट डॉ. नितिन एसजी का कहना है कि बचपन में फेफड़ों का कैंसर होना दुर्लभ है. लेकिन प्रदूषित हवा में कार्बन यौगिक और भारी धातु जैसे जहरीले कण होते हैं जो श्वसन मार्ग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इस जोखिम के कारण अक्सर अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी पुरानी बीमारियां होती हैं जो शहरी क्षेत्रों में चिंताजनक रूप से आम हैं. उन्होंने कहा, समय के साथ प्रदूषण से होने वाली बार-बार की क्षति और सूजन उम्र बढ़ने के साथ कैंसर सहित गंभीर फेफड़ों की बीमारियों का कारण बन सकती है. बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा और भविष्य में उनके कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए प्रदूषण को कम करना बहुत जरूरी है. 

10 सिगरेट के बराबर धुआं अंदर ले रहे हैं बच्‍चे

वहीं गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल के चेस्ट सर्जरी, चेस्ट ऑन्को सर्जरी और लंग ट्रांसप्लांटेशन संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अरविंद कुमार का कहना है कि भविष्य की पीढ़ियों पर इसका प्रभाव महत्वपूर्ण है, क्योंकि उच्च स्तर के प्रदूषण के संपर्क में आने वाला बच्चा अपने जीवन के पहले दिन से ही 10 सिगरेट के बराबर धुआं अंदर ले सकता है.

क्‍या कहती है लंग केयर फाउंडेशन की स्‍टडी

लंग केयर फाउंडेशन द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में दिल्ली के 3 स्कूलों में 3000 से अधिक बच्चों के स्पाइरोमेट्री परीक्षण किए गए, जिसमें पाया गया कि 11-17 वर्ष की आयु के एक तिहाई बच्चे अस्थमा से पीड़ित थे, जिसमें वायु प्रदूषण को एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक के रूप में पहचाना गया था. इन प्रदूषकों से होने वाली सूजन कैंसर सहित गंभीर फेफड़ों की बीमारियों का कारण बन सकती है. बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा और भविष्य में उनके कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए प्रदूषण को कम करना महत्वपूर्ण है. विशेषज्ञों ने चेहरे पर मास्क पहनने और प्रदूषण के चरम घंटों के दौरान बाहरी गतिविधियों को सीमित करने जैसे निवारक उपाय करने को कहा है.