दशहरे के बाद कितनी बिगड़ी दिल्ली की आबोहवा, आखिर कैसे मापी जाती है शहर की Air Quality?
दशहरे के बाद दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर क्या रहा, आखिर कैसे ये पता लगाया जाता है कि किसी शहर की हवा कितनी जहरीली है या कितनी साफ है. यहां जानिए इसके बारे में.
Delhi Air Quality Index: सर्दी की आहट के साथ ही शहर में वायु प्रदूषण की चर्चा होने लगी है. वहीं दशहरे (Dussehra) पर हुई आतिशबाजी के बाद लोगों को इस बात की चिंता थी कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के हालात और भी बिगड़ सकते हैं. लेकिन इस बार दशहरे पर मौसम ने राजधानी साथ दिया. हवाओं के चलने की वजह से प्रदूषण का स्तर उस लेवल पर नहीं पहुंच पाया जिसके कारण लोगों को फिक्र बनी हुई थी. SAFAR-इंडिया के मुताबिक देश की राजधानी दिल्ली में ओवरऑल वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 190 रहा जो कि 'मध्यम' श्रेणी है. जबकि नोएडा में AQI- 218 पर है, जो 'खराब' श्रेणी में है. आइए आपको बताते हैं कि आप जिस शहर में रहते हैं, उसकी Air Quality कैसी है, इस बात का पता कैसे लगाया जाता है कि जिस शहर में आप रहते हैं वहां की हवा जहरीली है या नहीं.
पहले समझिए क्या है AQI
हवा की क्वालिटी मापने के लिए एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index-AQI) का इस्तेमाल किया जाता है. AQI एक ईकाई है, जिसके आधार पर ये पता चलता है कि उस जगह की हवा सांस लेने लायक है या नहीं. AQI में 8 प्रदूषक तत्वों सल्फर PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3 और PB को देखा जाता है कि उनकी मात्रा कितनी है. अगर उनकी तय लिमिट से ज्यादा मात्रा होती है, तो समझ जाता है कि वहां की हवा प्रदूषित है.
AQI के छह मानक
एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के छह मानक होते हैं, जो ये बताते हैं कि शहर की हवा सांस लेने योग्य है या नहीं. ये छह मानक हैं- अच्छी, संतोषजनक,सामान्य, खराब, बहुत खराब और गंभीर जैसी कैटेगरी शामिल हैं. 0-50 के बीच 'अच्छी', 51-100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'सामान्य', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है.
कैसे मापी जाती है एयर क्वालिटी
एयर क्वालिटी को मापने के लिए अलग-अलग डिवाइस होती है, जिनके जरिए एक्यूआई का पता लगाया जा सकता है. सरकार भी कई जगहों पर ये मीटर लगाकर रखती है. इससे पता लग जाता है कि उस हवा की क्या स्थिति है. इसमें हर तत्व का सही पता उसके घंटों के आधार पर लगता है. जैसे कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा के लिए 6 घंटे रखना होता है, ऐसे ही दूसरे तत्वों के लिए अलग व्यवस्था है. ऐसे में इसे पूरे 24 घंटे एक स्थान पर रखकर उस जगह की हवा की गुणवत्ता का पता लगाया जाता है.
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