Class 12th Boards twice a year: देश की स्कूली शिक्षा में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा की रूपरेखा (NCFFS) तैयार करने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) की तरफ से एक विशेषज्ञ पैनल नियुक्त किया गया है. विशेषज्ञ पैनल की तरफ से साल में दो बार बोर्ड परीक्षा और 12वीं कक्षा के लिए एक सेमेस्टर प्रणाली की सिफारिश करने की संभावना है. इसके अलावा, NCF का मानना है कि बोर्ड परीक्षाओं को एक नहीं बल्कि साल में कम से कम दो बार आयोजन किया जाना चाहिए. एनसीएफ यह भी सिफारिश कर सकता है कि छात्रों को इस बात का ऑप्शन दिया जाना चाहिए कि वो किस सब्जेक्ट की परीक्षा पहले और किस विषय की परीक्षा दूसरी बार दें. आइए जानते हैं पूरी डीटेल.

छात्रों को मिलेगी छूट

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NCFFS का कहना है कि स्टूडेंट्स को इस बात की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए कि वो किस सब्जेक्ट के एग्जाम पहले और किस सब्जेक्ट के एग्जाम दूसरी बार देना चाहते हैं. यानि की स्टूडेंट्स अपनी सुविधा के अनुसार उन एग्जाम्स को पहले दे पाएंगे, जिनकी तैयारी वो पहले कर चुके हैं. यह पैनल कई स्कूल बोर्ड में कक्षा 11 और 12 में आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस को अलग करने वाली प्रक्रिया की बजाए साइंस और ह्यूमैनिटीज के मिश्रण की भी सिफारिश कर सकता है.

स्ट्रक्चर में होगा बदलाव

रिपोर्ट के अनुसार, इसरो के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन की अगुआई में 12 सदस्यीय संचालन समिति द्वारा तैयार की जा रही सिफारिशों को अपनाने के बाद कक्षा 9 और 10 के स्ट्रक्चर में भी एक बड़ा बदलाव होगा. इसमें स्टूडेंट्स के लिए 8 पेपर पास करने का नियम बनाया जा सकता है. वर्तमान में CBSE सहित अधिकांश बोर्डों के छात्रों को कक्षा 10 में कम से कम 5 विषयों को पास करना होता है. कक्षा 10 के छात्रों के लिए समिति एक वार्षिक प्रणाली का सुझाव दे सकती है.

गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के चार स्टेज हैं. इनमें फाउंडेशन, प्रीप्रेट्री, मिडिल और सेकेंड्री स्टेज शामिल हैं. सेकेंड्री स्टेज यानी कक्षा 9 से कक्षा 12 के लिए एनसीएफ को लागू किए जाने पर फिलहाल कोई आधिकारिक सूचना जारी नहीं की गई है.

हाई क्वालिटी टेस्ट सिस्टम को तैयार करने का निर्देश

एनसीएफ के मुताबिक करिकुलम तैयार करने में शिक्षा बोर्ड की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए. बोर्ड परीक्षाओं के लिए प्रश्न-पत्र बनाने वाले, जांच करने वाले और मूल्यांकन के लिए टेस्ट डेवेलपमेंट्स संबंधित यूनवर्सिटी-सर्टिफाईड कोर्स की सिफारिश भी की जा सकती है. एनसीएफ में वोकेशनल, आर्ट्स, फिजिकल एजुकेशन को करिकुलम का इंटीग्रल पार्ट माना गया है. इसके लिए बोर्ड को इन एरिया के लिए हाई क्वालिटी टेस्ट सिस्टम को तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं.

'बालवाटिका' योजना

इससे पहले शिक्षा के फाउंडेशनल स्टेज यानी बिल्कुल शुरूआती कक्षाओं के लिए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के तहत देश भर में 'बालवाटिका' योजना शुरू की जा चुकी है. देशभर के अलग-अलग 49 केंद्रीय विद्यालयों में पायलट परियोजना के तौर पर इस को शुरू किया गया है. यह 3-8 साल की उम्र के बच्चों के लिए देश का पहला एकीकृत नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क है.

नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के सभी उपायों का उद्देश्य तीन विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करना है. इनमें अच्छा स्वास्थ्य और खुशहाली बनाए रखना, प्रभावकारी संप्रेषक या संवादात्मक बनाना, और सक्रिय शिक्षार्थी बनाना शामिल है. नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) छोटे बच्चों को 21वीं सदी की संज्ञानात्मक और भाषाई दक्षता से लैस करने में मदद करेगी. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा एनसीईआरटी से कहा गया है कि वह एनसीएफ को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने, बचपन की देखभाल एवं विकास में शामिल सभी हितधारकों को उपलब्ध कराने में सहयोग करें.

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