Chandrayaan 3: चांद पर आया भूकंप, विक्रम लैंडर ने किया महसूस, पांच सेकंड तक हुआ कंपन
Chandrayaan 3 Updates: चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर ने चांद में भूकंप के कंपन महसूस किए हैं. 26 अगस्त को पांच सेकंड तक भूकंप के ये कंपन महसूस किए गए हैं. जानिए क्यों आया चांद पर ये भूकंप.
Chandrayaan 3 Updates, Earthquake in Moon: चंद्रयान 3 का विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद के दक्षिण ध्रुव पर जरूरी जानकारी इकट्ठा कर रहा है. रोवर ने चांद के दक्षिणी ध्रुव की मिट्टी के तापमान पर अहम जानकारी शेयर की थी. विक्रम लैंडर ने चांद में भूकंप जैसे कंपन महसूस किए हैं. 26 अगस्त को पांच सेकंड तक इस कंपन दर्ज किया गया है. इसरो की टीम इस कंपन पर लगातार रिसर्च कर रही है. इसे भूकंप के जैसा कंपन बताया जा रहा है.
Chandrayaan 3 Updates, Earthquake in Moon: इस उपकरण ने दर्ज किया कंपन
विक्रम लैंडर में मौजूद भूकंप मापने का उपकरण ILSA (Instrument for lunar Sesmic Activity) हर छोटे और बड़े कंपन को दर्ज कर रहा है. इस उपकरण ने 25 अगस्त को चांद में जो कंपन महसूस किया था, उसे भी दर्ज किया गया था. इसके बाद 26 अगस्त को पांच सेकंड तक आए इस कंपन को भी दर्ज किया गया. इसरो फिलहाल इसके कारणों का पता लगा रही है. दरअसल कई बार चांद पर उल्कापिंड गिरते हैं उससे भी ऐसे कंपन आते हैं. इसके अलावा चांद के अंदर भूगर्भीय गतिविधियों के कारण भी ऐसे भूकंप आते हैं.
Chandrayaan 3 Updates, Earthquake in Moon: पूरी तरह से सुरक्षित है विक्रम लैंडर
भूकंप के कंपन के बीच विक्रम लैंडर पूरी तरह से सुरक्षित है. इसमें किसी भी तरह की कोई क्षति नहीं दर्ज की गई है. चंद्रयान 3 के प्रयोग चांद की सतह पर लगातार जारी हैं. अब जो चांद की भूगोलीय और खगोलीय स्थिति है, उसके बारे में भी अहम जानकारी सामने आ रही है. इसरो और चंद्रयान के लिए आज का दिन बेहद अहम है. आज से देश का पहला सोलर मिशन आदित्य एल 1 का काउंटडाउन भी शुरू हो जाएगा.
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आपको बता दें कि चांद्रयान 3 के प्रज्ञान रोवर के लेजर संचालित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) डिवाइस ने चांद की सतह पर एल्युमीनियम, कैल्शियम, लौह, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता लगाया था. साथ ही दक्षिणी ध्रुव के पास सतह में गंधक (सल्फर-S) होने की स्पष्ट रूप से पुष्टि की थी. वहीं, चांद पर हाइड्रोजन (H) की खोज जारी है. LIBS डिवाइस को इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम्स (एलईओएस)/इसरो, बेंगलुरु की लैब में बनाया गया है.