Chandrayaan 3 Mission: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के मुताबिक, आज चंद्रयान-3 पृथ्वी से निकलकर चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा. चंद्रयान 3 को पृथ्वी  से चांद तक पहुंचने में करीब 45 से 50 दिन का समय लगेगा. अगर यह सारा प्रोसेस सही समय पर होता है तो चंद्रयान-3 23 या  24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. चंद्रयान-3 को इस सफर में काफी मुश्किलों का सामना करना पर सकता है. तो चलिए जानते हैं क्या-क्या चुनौतियां होगी. ISRO ने दी जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी (ISRO) के मुताबिक, चंद्रयान-3 आज शाम करीब 7-7:30 करीब चांद के ORBIT में प्रवेश करेगा. इस प्रोसेस को लूनर ऑर्बिट इंजेक्‍शन (LOI) कहते हैं. अगर सबकुछ ठीक रहा तो 16 अगस्त तक स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा के चक्कर लगाकर 17 अगस्त को चंद्रमा से 100 किलोमीटर ऊपर प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैंडर से अलग होगा. यह लैंडर धीरे-धीरे अपनी स्पीड कम करना शुरू करेगा. 23 अगस्त को शाम 5 बजे लैंडिंग होगी. फिर रोवर रैंप से बाहर निकलेगा और 14 दिन तक प्रयोग करेगा. सामने होगी ये चुनौतियां पृथ्वी से चंद्रमा में प्रवेश करना काफी मुश्किल है.  इस वक्त अगर थोड़ी से भी गलती होती है तो ये पूरा मिशन फेल हो जाएगा.  इस पूरे मिशन को काफी सफलता से करना होगा.  जहां चंद्रयान-3 धरती से चाँद की ऑर्बिट में प्रवेश करेगा तो स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार को कम कर दिया जाता है ताकि चंद्रमा का Gravitational force इसे लूनर ऑर्बिट में आसानी से खींच सकें. अगर इस प्रोसेस में थोड़ी सी भी चूक होती है तो यह मिशन फेल हो जाएगा. इस दौरान अगर पृथ्वी का Gravitational force ज्यादा हुआ तो चंद्रयान-3 खिंचाव के कारण चंद्रमा से दूर जा सकता है. इससे इस मिशन को लेकर काफी मुश्किलें आ सकती हैं. किन बातों को ध्यान रखना जरूरी इस दौरान सटीक कैलकुलेशन और सही समय पर स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार को कम करना काफी  जरूरी है. आपको बता दें कि धरती से चांद तक के सफर में जीपीएस काम नहीं करता. ISRO के साइंटिस्ट काफी बारीकी और सूझबूझ से कैलकुलेशन करते हैं. आज चांद पर लैंडिंग के वक्त भी काफी बारीकी से कैलकुलेट करना होगा. ऐसे में जरा सी गलती पूरे मिशन को फेल कर सकती है.