Chandrayaan-3 को 14 जुलाई शुक्रवार को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया है. ये भारत का तीसर चंद्र मिशन है. इससे पहले भारत चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 को लॉन्‍च कर चुका है. 22 अक्तूबर 2008 को चंद्रयान-1 का सफल प्रक्षेपण किया गया था. चंद्रयान 1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जिसने 312 दिन तक चांद का चक्कर लगाया था. चंद्रयान-1 दुनिया को चांद में पानी की मौजूदगी के सबूत दिए थे.

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इसके बाद साल 2019 में चंद्रयान-2 को लॉन्‍च किया गया. भारत अंतरिक्ष विज्ञान में इतिहास रचने के करीब था, लेकिन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का लैंडिंग से महज 69 सेकंड पहले पृथ्वी से संपर्क टूट गया. बाद में पता चला कि हार्ड लैंडिंग में स्पेसक्राफ्ट चांद की सतह पर क्रैश हो गया है. इस तरह अंतिम क्षणों में भारत इतिहास रचते-रचते रह गया. अब चंद्रयान-3 से सिर्फ इसरो के वैज्ञानिकों को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को काफी उम्‍मीदें हैं. चंद्रयान-3 को फिलहाल चांद पर पहुंचने में वक्‍त लगेगा, लेकिन आइए आपको बताते हैं कि चंद्रयान से पहले दुनिया में कौन से Moon Mission चर्चा में रहे हैं और चंद्रयान-3 के बाद किन देशों की मून मिशन की तैयारी है.

लूना मिशन

2 जनवरी, 1959 को सोवियत संघ (रूस) ने लूना-1 अंतरिक्षयान भेजा था. यहीं से मून मिशन की शुरुआत मानी जाती है. ये चंद्रमा के पास पहुंचने वाला पहला अंतरिक्ष विमान था. लेकिन इस मिशन में रूस को खास कामयाबी नहीं मिल सकी. बड़ी सफलता दूसरी बार लूना 2 मिशन में मिली. इसने चांद की सतह के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दीं, जिससे पता चला कि वहां कोई चुंबकीय क्षेत्र नहीं है. तब से अब तक रूस 24 लूना मिशन लॉन्‍च कर चुका है. रूस ने आखिरी मून मिशन लूना 24 को 1976 में लॉन्च किया था. 

सर्वेयर प्रोग्राम

इसके अलावा नासा का सर्वेयर प्रोग्राम भी चर्चा में रहा. नासा ने 1966 से 1968 तक सर्वेयर प्रोग्राम चलाया, जिसमें चंद्रमा की सतह पर सात रोबोटिक अंतरिक्ष यान भेजे गए. इन्‍हें सॉफ्ट लैंडिंग कराकर चंद्रमा की मिट्टी की यांत्रिकी और थर्मल विशेषताओं का डेटा इकट्ठा किया गया.

अपोलो 

इसके अलावा अमेरिका का अपोलो मिशन भी काफी चर्चा में रहा. अपोलो 8 को 1968 में लॉन्च किया गया था. चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने वाला ये पहला मानवयुक्त मिशन था. इस मिशन में शामिल ऐस्ट्रोनॉट फ्रैंक बोरमैन, जिम लॉवेल और बिल एंडर्स ने चांद की कक्षा से लाइव ब्रॉडकास्ट किया. इसके बाद हुए सभी मिशनों के लिए इसी ने एक आधार तैयार किया.

इसके बाद अपोलो 11 चर्चा में रहा. 1969 में लॉन्च हुआ ये मिशन अमेरिका का पहला अंतरिक्ष मिशन था जिसमें इंसानों ने चंद्रमा की सतह पर कदम रखा. नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन इस मिशन का हिस्‍सा थे. ये मिशन इतिहास का खास हिस्‍सा है. इसके बाद अपोलो 15 काफी चर्चा में रहा क्‍योंकि ये  यह नासा का खास मिशन था. 1971 में लॉन्च इस मिशन के जरिए नासा ने अपना लूनर रोवर चंद्रमा पर उतारा. इससे चंद्रमा की सतह के बारे में वैज्ञानिक जानकारी जुटाने में मदद मिली. 1972 में लॉन्च अपोलो 17, अपोलो कार्यक्रम का आखिरी मिशन था.

चांग'ई 

चीन ने 2019 में चांग'ई 4 मिशन को लॉन्‍च किया था. चांग-ई-4 ने चांद की सतह पर लैंडर और यूटू-2 रोवर के साथ लैंड किया था. इससे पहले चांग-ई-3 नाम का स्पेसक्राफ्ट 2013 में चांद के सतह पर पहुंचा था. चांग-ई-3 अभी भी एक्टिव मोड में है. इसके अलावा चीन का चांग ई-5 भी चांद की सतह से नमूने इकट्ठे कर धरती पर सुरक्षित लौटकर इतिहास रचा था.

चंद्रयान के बाद इन मून मिशन की है तैयारी

- चंद्रयान-3 के तुरंत बाद रूस का मून मिशन लूना-25 लॉन्‍च हो सकता है.  लूना-25 को सोयुज रॉकेट से लांच किया जाएगा. उम्‍मीद की जा रही है कि अगस्त में लॉन्‍च किया जा सकता है.

- जापान की एयरोस्पेस एक्सपोरेशन एजेंसी यानी JAXA की ओर से भी स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून यानी स्लिम को चांद पर भेजने की तैयारी है. इस मिशन में एक्सरे इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी को चांद तक भेजा जाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स के हिसाब से अगस्‍त से सितंबर मध्‍य के बीच ये मिशन लॉन्‍च हो सकता है.

- टेक्सास बेस्ड निजी कंपनी इंट्यूएटिव मशीन्स इसी साल IM-1 मिशन को लॉन्‍च करने की तैयारी कर रही है. कंपनी ने लैंडर का नाम नोवा सी रखा है.

- निजी स्पेस एजेंसी एस्ट्रोबोटिक भी इस साल के अंत तक पेरेग्रीन एम-1 मिशन को लॉन्‍च करने की तैयारी कर रही है.

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