Chandrayaan 3 Interesting Facts: बचपन में जिस चांद को हम चंदा मामा कहकर बुलाते थे और उन चंदा मामा में कई तरह की आकृतियों को ढूंढा करते थे, अब दूर आसमान में मौजूद उस चांद की जमीं पर कदम रखने का समय करीब आ रहा है. Chandrayaan 3 के लिए काउंटडाउन शुरू हो गया है. कल यानी 14 जुलाई का दिन भारत के लिए बहुत खास होने वाला है क्‍योंकि इसरो (ISRO) कल श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 को लॉन्च करेगा.

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साल 2019 में मिशन चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) के दौरान चांद की सतह पर लैंडर विक्रम (Lander Vikram) की हार्ड लैंडिंग ने देशवासियों का दिल तोड़ दिया था. अब चंद्रयान 3 के जरिए एक बार फिर से करोड़ों देशवासियों के सपने भी उड़ान भरने को तैयार हैं. इस मिशन से इसरो के साथ-साथ पूरे देश को काफी उम्‍मीदें हैं. आइए आपको बताते हैं चंद्रयान 3 मिशन से जुड़ी खास बातें. 

चंद्रयान 3 का मकसद

चंद्रयान 3 के जरिए भारत चांद की स्‍टडी करना चाहता है. वो चांद से जुड़े तमाम रहस्‍यों से पर्दा हटाएगा. चंद्रयान 3 चांद की सतह की तस्वीरें भेजेगा, वहां के वातावरण, खनिज, मिट्टी वगैरह जुड़ी तमाम जानकारियों को जुटाएगा. बता दें 2008 में जब इसरो ने भारत का पहला चंद्र मिशन चंद्रयान-1 सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, तब इसने चंद्रमा की परिक्रमा की और चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की खोज की थी.

चंद्रयान-2 के मुकाबले अपग्रेड किया गया है चंद्रयान 3

चंद्रयान-2 मिशन जिन वजहों से कामयाब नहीं हो सका, उन वजहों को बारीकी से अध्‍ययन करने के बाद चंद्रयान 3 को कई स्‍तर पर अपग्रेड किया गया है, ताकि इस बार मिशन की सफलता को सुनिश्चित किया जा सके. इसके लिए पिछली बार की तुलना में लैंडर को मजबूत बनाया गया है. इसमें बड़े और शक्तिशाली सौर पैनल का इस्तेमाल किया गया है. चंद्रयान 3 की स्‍पीड को निर्धारित करने के लिए अतिरिक्त सेंसर लगाए गए हैं. कुल मिलाकर इस मिशन में हर गलती की गुंजाइश को खत्‍म करने का प्रयास किया गया है.

 LVM-3 से होगी लॉन्चिंग

चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया जा रहा है. लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 2 से 14 जुलाई 2023 शुक्रवार की दोपहर 2:35 बजे होगी. करीब 45 से 50 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास इसकी लैंडिंग होगी. 

क्‍या है LVM-3 

LVM3 एक तीन चरणों वाला रॉकेट है, जिसमें पहले चरण में तरल ईंधन, ठोस ईंधन द्वारा संचालित दो स्ट्रैप-ऑन मोटर, तरल ईंधन द्वारा संचालित दूसरा और क्रायोजेनिक इंजन होता है. ये भारी सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में छोड़ने की क्षमता रखता है. ये रॉकेट करीब 143 फीट ऊंचा है. 642 टन वजनी है. चंद्रयान-3 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में छोड़ेगा. 

चंद्रयान-3 के मॉड्यूल

चंद्रयान-2 में लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर था. चंद्रयान-3 के लिए ऑर्बिटर नहीं बनाया है. चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पहले ही ऑर्बिट में मौजूद है. जरूरत पड़ने पर इसी का इस्‍तेमाल किया जाएगा. चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर के बजाय स्वदेशी प्रोप्‍ल्शन मॉड्यूल है. 

प्रोप्ल्शन मॉड्यूल: अंतरिक्ष मिशन पर जाने वाले यान का पहला हिस्‍सा होता है, जिसे प्रोप्‍ल्‍शन मॉड्यूल कहा जाता है. ये किसी भी स्पेस शिप को उड़ान भरने की ताकत देता है. 

लैंडर मॉड्यूल: चंद्रयान-3 का ये दूसरा और महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसे ही चंद्रमा पर उतारा जाएगा. रोवर को चंद्रमा की सतह तक सही तरीके से पहुंचाने की जिम्मेदारी इसी की होती है.

रोवर: चंद्रयान का यह तीसरा हिस्सा है रोवर, जो लैंडर के जरिए चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और फिर मूवमेंट कर जानकारी जुटाकर धरती पर भेजेगा.

कैसे पूरा होगा चंद्रयान 3 का सफर

LVM3 रॉकेट चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा.पृथ्वी की आर्बिट में पहुंचने के बाद चंद्रयान धीरे-धीरे पृथ्वी की कक्षा में दूरी को बढ़ाएगा. दूरी बढ़ाने के लिए ऑनबोर्ड रॉकेट का इस्तेमाल होगा. ये रॉकेट चंद्रयान के साथ जाएंगे. इस तरह चंद्रयान चंद्रमा की कक्षा में दाखिल होगा. इसके बाद चक्‍कर काटते हुए चंद्रयान चंद्रमा की निचली कक्षा में दाखिल हो जाएगा. 

इसके बाद चांद की सतह पर लैंडर को उतारने की तैयारी होगी. यही इस मिशन का सबसे मुश्किल हिस्‍सा है. इससे पहले के विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग की वजह से चंद्रयान 2  मिशन खराब हो गया था. चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद 6 पहियों वाला रोवर बाहर आएगा. ये लैंडर चंद्रमा का सतह पर चलकर डेटा जुटाएगा और चंद्रमा की सतह की तस्वीरे लेगा. जिसे वो लैंडर विक्रम को भेजेगा.

पीएम मोदी के लिए भी बहुत खास है मिशन

चंद्रयान 3 पीएम नरेंद्र मोदी के लिए भी काफी खास है. साल 2019 में चंद्रयान 2 के दौरान लैंडिंग के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो के सेंटर में मौजूद थे. जब लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग नाकामयाब हुई तो मिशन से जुड़े लोग काफी निराश हो गए थे, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने उस समय उन लोगों का हौसला बढ़ाया था और उनकी पीठ थपथपाई थी. 

अब पीएम मोदी के ही कार्यकाल में इसरो चंद्रयान 2 का फॉलोअप मिशन चंद्रयान 3 के जरिए चांद की ओर बढ़ने के लिए फिर से तैयार है. चंद्रयान 1 के बाद चंद्रयान 2 को लॉन्‍च करने में इसरो को 10 साल से ज्‍यादा का समय लगा था. लेकिन चंद्रयान 2 के 4 साल बाद ही चंद्रयान 3 अपने सफर के लिए तैयार है. ऐसे में अगर इस मिशन में कामयाबी मिलती है, तो न सिर्फ भारत की दुनिया में और भी मजबूत छवि बनेगी, बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी की भी साख और मजबूत होगी.

 

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