भारत में चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 Mission) की तैयारियां जोरों पर हैं. चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के आखिरी चरण में है. चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर से एक वीडियो शेयर किया गया है. अगर सब कुछ इसी तरह से चलता रहा तो इसरो की ओर से 13 जुलाई को चंद्रयान-3 को लॉन्‍च कर दिया जाएगा.

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ट्वीट के जरिए इसरो की ओर से बताया गया है कि बुधवार 5 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 की इनकैप्सुलेटेड असेंबली को LVM3 के साथ जोड़ा गया है. इसरो द्वारा शेयर किए गए वीडियो में ये देखा जा सकता है कि कि कैसे LVM3 के साथ इनकैप्सुलेटेड को असेंबल का किया गया है. बता दें कि आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा (Sriharikota) सेंटर से 13 जुलाई की दोपहर 2:30 बजे चंद्रयान-3 लॉन्च किया जाएगा. 

चंद्रयान-3 से काफी उम्‍मीदें

चंद्रयान-3 मिशन के तहत ISRO चांद की स्टडी करना चाहता है. भारत ने पहली बार 2008 में चंद्रयान-1 की सफल लॉन्चिग की थी. इसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया. लेकिन, इसका लैंडर लैंडिंग नहीं कर सका. चंद्रयान-3 एक तरह से कहें तो दूसरे मिशन का ही फॉलोअप है. भारत को चंद्रयान-3 से काफी उम्मीदें हैं. चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Launch) अगर इस बार चंद्रमा पर लैंडिंग करने में सफल रहता है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा करने वाला भारत (India) चौथा देश बन जाएगा.

तीन हिस्सों में तैयार किया गया है चंद्रयान-3 

प्रोप्ल्शन मॉड्यूल: अंतरिक्ष मिशन पर जाने वाले यान का पहला हिस्‍सा होता है, जिसे प्रोप्‍ल्‍शन मॉड्यूल कहा जाता है. ये किसी भी स्पेस शिप को उड़ान भरने की ताकत देता है. 

लैंडर मॉड्यूल: चंद्रयान-3 का ये दूसरा और महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसे ही चंद्रमा पर उतारा जाएगा. रोवर को चंद्रमा की सतह तक सही तरीके से पहुंचाने की जिम्मेदारी इसी की होती है.

रोवर: चंद्रयान का यह तीसरा हिस्सा है रोवर, जो लैंडर के जरिए चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और फिर मूवमेंट कर जानकारी जुटाकर धरती पर भेजेगा.

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